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बुद्ध की जीवनी
नगर पहुँचे । वहीं ई० पू० ४८७ के लगभग उनका निर्वाण हुआ। अन्तिम संस्कार करने के बाद बुद्ध के शरीर का जो अवशेष प्राप्त हुआ, उस के आठ भाग किये गये। वे आठों भाग आठ जातियों में बाँट दिये गये औन उन पर प्रत्येक जाति ने एक एक स्तूप बनवाया ।
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