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________________ ४० बौद्ध-कालीन भारत है, ऋषि असित उनके दर्शन के लिये आये और भविष्यवाणी की कि यह बालक एक दिन बुद्ध होगा। राजा शुद्धोदन को इस बात का विश्वास न हुआ कि यह राजकुमार राज-पाट और घन वैभव छोड़कर एक तपस्वी का जीवन पसंद करेगा। तथापि राजकुमार को संसार में लिप्त रखने के लिये उन्होंने हर प्रकार के भोग-विलास की सामग्री उसके लिये इकट्ठी की, जिससे राजकुमार का मन वैराग्य की ओर कभी प्रवृत्त ही न हो। जब राजा ने ऋषि असित से पूछा कि किन कारणों से राजकुमार के मन में राज्य की ओर से वैराग्य उत्पन्न होगा, तब ऋषि ने कहा कि चार बातें इस वैराग्य का कारण होंगी-(१) एक वृद्ध मनुष्य, (२) एक रोगी मनुष्य, (३) एक मृतक तथा (४) एक भिक्षु। अतएव राजा ने इस बात की बड़ी चौकसी रक्खी कि ये चारों चीजें राजकुमार की आँखों के सामने न आने पावें । बुद्ध का विवाह और वैराग्योत्पत्ति जब कुमार विद्या समाप्त कर चुके, तब राजा शुद्धोदन ने गुरुकुल में जाकर उनका समावर्तन संस्कार कराया और गुरु विश्वामित्र को प्रचुर दक्षिणा दी। अनंतर बड़े गाजे-बाजे के साथ कुमार सिद्धार्थ कपिलवस्तु लाये गये। वे एकांत-प्रेमी थे और खेल-कूद, आमोद-प्रमोद आदि में बहुत सम्मिलित न होते थे। वे सदा ध्यान में मग्न रहा करते थे और यही सोचा करते थे कि मनुष्य त्रिविध तापों से किस तरह छुटकारा पा सकता है । राजा शुद्धोदन कुमार की यह दशा देख महर्षि असित के वचनों का स्मरण करके बहुत घबराये; और जब अन्य प्रकार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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