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बुख की जीवनी
गर्भ में श्वेत हस्ती के रूप में प्रवेश किया। जब प्रसव काल समीप माया, तब मायादेवीने राजा से अपने मैके जाने की इच्छा प्रकट की । जब वे राजा की आज्ञा लेकर अपने मैके जा रही थीं, तब रास्ते में "लुंबिनी" नामक उपवन में उन्हें प्रसव-वेदना हुई और वे एक "शाल" के वृक्ष की डाल पकड़कर खड़ी हो गई। खड़े होते ही माया की कोख से बुद्ध भगवान का जन्म हो गया । जन्म के पाँचवें दिन राज-पुरोहित विश्वामित्र ने इस शिशु का नाम सिद्धार्थ रक्खा। पर बुद्ध के गोत्र का नाम गौतम था । इनकी माता माया देवी इनके जन्म के सातवें ही दिन स्वर्गवासिनी हुई; इसलिये इनकी मौसी तथा विमाता प्रजावती ने इनका पालन-पोषण किया। कहते हैं कि जिस दिन बुद्ध ने अवतार लिया, उसी दिन उनकी भावी पत्नी “यशोधरा", उनके सारथि “छन्दक", उनके घोड़े “कण्ठक" तथा उनके प्रधान शिष्य "आनन्द" ने भी जन्म-ग्रहण किया था। यह भी कहा जाता है कि ये सब बुद्ध के पूर्व जन्मों में, भिन्न भिन्न रूपों में, उनके साथ रह चुके थे। ___"लुम्बिनी" उपवन से बुद्ध बड़ी धूम धाम के साथ कपिलवस्तु में लाये गये और ज्योतिषियों ने जम्म-पत्र बनाकर फलाफल कहना शुरू किया। कोई ज्योतिषी कहता कि यह बालक चक्रवर्ती सम्राट् होगा। कोई कहता कि यह “सम्यक् संबुद्ध" होकर संसार का उद्धार करेगा। जो चिह्न इस बालक के शरीर पर थे, उनसे दोनों ही बातें हो सकती थीं; क्योंकि चक्रवर्ती राजा और बुद्ध के चिह्न प्रायः एक ही से होते हैं। इतने में योग शक्ति से यह जानकर कि बुद्ध ने कपिलवस्तु में अवतार लिया
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