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________________ ३७१ परिशिष्ट (ग) निर्वाण कब हुआ, यही सूचित करने के लिये ये शून्य बनाये जाते थे। सन् १८९ ई. तक इन शून्यों की संख्या ९७५ थी। अतएव ९७५ में से ४८९ निकाल देने से ४०६ बचता है; और यही समय बुद्ध के निर्वाण का था । (३) खुतन (चीनी तुर्किस्तान) में पाये गये बौद्ध ग्रन्थों में की एक दन्त-कथा से पता लगता है कि बुद्ध-निर्वाण के २५० वर्ष बाद अशोक हुए। इस दन्त-कथा से यह भी पता चलता है कि अशोक चीन के बादशाह शेतांगटी का समकालीन था। शेदांगटी ने ई० पू० २४६ से ई० पू० २१० तक राज्य किया था। अतएव २४६ में २५० जोड़ देने से बुद्ध का निर्वाण-काल ई० पू० पाँचवीं शताब्दी में ४८७ के लगभग सिद्ध होता है।। परिशिष्ट (ग) बौद्ध काल के विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय बौद्ध-कालीन भारत का सबसे प्राचीन और सब से प्रसिद्ध विद्यालय तक्षशिला में था। इस प्राचीन नगर के खंडहर अब तक मिलते हैं। रावलपिण्डी से बीस मील पर जो सरायकाला स्टेशन है, उससे थोड़ी ही दूर पर, उत्तर पूर्व की ओर, ३-४ मील के घेरे में वे फैले हुए हैं। तक्षशिला जिस स्थान पर बसा हुआ था, वह पहाड़ की एक बहुत ही रमणीक तराई है। इसके सिवा यह नगर उस सड़क पर बसा हुआ * जर्नल आफ रायल एशियाटिक सोसाइटी ग्रेट ब्रिटेन, १९०५. पृ० ५१ । + जर्नल श्राफ. एशियाटिक सोसाइटी बंगाल, १८८६, पृ० १६३-२०३। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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