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बौद्ध-कालीन भारत
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वराह पर सवार दिखलाये गये हैं। वज्रपाणि एक हाथ में वजू लिये हुए हैं; और मैत्रेय एक हाथ से अभय-दान दे रहे हैं और दूसरे हाथ में घंटी के आकार की कोई वस्तु लिये हुए हैं। ये सब बोधिसत्त्व दूसरे नामों में केवल प्राचीन वैदिक देवता हैं। मालूम होता है कि जब बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ और लोग अपना पुराना धर्म छोड़कर इस नये धर्म में आये, तब अपने साथ बहुत से प्राचीन देवी देवताभी, जिनकी पूजा बहुत पहले हुआ करती थी, लेते आये । हीनयान सम्प्रदाय में शक्र, विष्णु, ब्रह्मा, नारायण
आदि इन्हीं नामों से ग्रहण किये गये हैं; पर महायान संप्रदाय में ये नाम बदल दिये गये हैं। शक का नाम वज्रपाणि और उनके स्वर्ग का नाम त्रयस्त्रिंश लोक रक्खा गया । ब्रह्मा का नाम मंजुश्री, विष्णु का अवलोकितेश्वर, सूर्य का मारीचि और कुवेर का जंभल कर दिया गया। कहते हैं कि मैत्रेय भविष्य में अवतार लेंगे
और बुद्ध पद प्रहण करके संसार का उद्धार करेंगे। ___ बुद्ध के जीवन को प्रधान घटनाएँ-गन्धार देश में ऐसी बहुत मूर्तियाँ मिली हैं, जिन पर बुद्ध भगवान के जीवन की प्रधान घटनाएँ चित्रित हैं । किसी मूर्ति में बुद्ध की माता मायादेवी सो रही हैं और बुद्ध छः दाँतोंवाले श्वेत हस्ती के रूप में स्वर्ग से उतरकर उनके गर्भ में प्रवेश कर रहे हैं। किसी में रानी माया शाल वृक्ष की शाखा पकड़कर खड़ी हैं और उनके गर्भ से बुद्ध का जन्म हो रहा है। किसी में बालक बुद्ध अपने गुरु
* दिसम्बर १९१७ की सरस्वती में मेरा लिखा हुआ “बुद्ध के जीवन की प्रधान घटनाएँ" नामक लेख देखिये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com