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________________ ३१९ মানিক বয়া पश्चिमोत्तर भारत में बौख धर्म-ई०पू० प्रथम और द्वितीय शताब्दी में मध्य देश में बौद्ध धर्म की चाहे जो दशा रही हो, पर पश्चिमोत्तर भारत के यवन या यूनानी राजाओं के राज्यों में उसका खूब प्रचार हो रहा था। प्रसिद्ध यूनानी राजा मिनेंडर (मिलिन्द ) बौद्ध धर्म का अनुयायी था । स्थविर नागसेन ने उसे अपने उपदेशों से बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। यही एक ऐसा यूनानी राजा है, जिसका नाम भारतवर्ष के प्राचीन साहित्य में मिलता है । "मिलिन्द पन्हो" नामक पाली ग्रन्थ में मिलिन्द अपने गुरु स्थविर नागसेन से शंकाएँ तथा प्रश्न करता है; और नागसेन उन शंकाओं का समाधान करता है। बौद्ध धर्म के अठारह संप्रदाय-बुद्ध के जीवन काल से ही बौद्ध धर्म में बराबर मत-भेद उठते और भिन्न भिन्न संप्रदाय निकलते रहे हैं। उन संप्रदायों के मतभेद दूर करने के लिये समय समय पर बौद्ध भिक्षुओं की महासभाएँ होती रही हैं । अशोक के समय में भी इसी तरह की एक महासभा हुई थी। उस के बाद बौद्ध धर्म फिर धीरे धीरे अनेक संप्रदायों में बँटने लगा । यहाँ तक कि कनिष्क के पहले बौद्ध धर्म में निश्चित रूप से अठारह संप्रदाय हो गये थे । कदाचित् इन अठारहो संप्रदायों को एक करने और उनके मतभेद दूर करने के लिये ही कनिष्क के समय में बौद्ध धर्म की चौथी महासभा हुई थी। ___कनिष्क के समय की बौर महासभा-बौद्ध धर्म के इतिहास में कनिष्क के राज्य-काल से एक नया ही युग प्रारंभ होता है। उसका राज्य काश्गर, यारकन्द, खुतन, काबुल, कन्धार, सिंध, पश्चिमोत्तर भारत, कश्मीर और मध्य देश में फैला हुआ. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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