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________________ बौद्ध-कालीन भारत ३०६. हुविष्क-कनिष्क के पश्चात् उसका पुत्र हुविष्क या हुष्क कुषण साम्राज्य का अधिपति हुआ। उसके शासन की घटनाओं के बारे में कुछ अधिक ज्ञात नहीं है । मालूम होता है कि कनिष्क के बाद उसने साम्राज्य को सुरक्षित रक्खा। उसने कश्मीर में अपने नाम से "हुष्कपुर" नामक नगर भी बसाया, जिसके स्थान पर आजकल उष्कूर नामक छोटा ग्राम बसा हुआ है। यहाँ पर एक प्राचीन स्तूप के भग्नावशेष अब तक पाये जाते हैं। जब ह्वेन्त्सांग कश्मीर गया था, तब इसी हुष्कपुर के विहार में ठहरा था। मथुरा में एक बौद्ध विहार भी उसी के नाम से था । उसके सिक्के कनिष्क के सिक्कों से भी अधिक संख्या में और अधिक प्रकार के पाये गये हैं। उसके सिक्कों पर यूनानी, ईरानी और भारतीय तीनों देवताओं के चित्र मिलते हैं। पर उसका एक भी सिक्का ऐसा नहीं मिला, जिस पर बुद्ध की मूर्ति या उन का नाम हो। उसके आठ शिलालेख ३३ से ६० वर्ष तक के पाये गये हैं। अतएव इसने कदाचित् १२० से १४० ई० तक राज्य किया। ___वासुदेव और कुषण साम्राज्य का अन्त-हुविष्क के बाद वासुदेव राजगद्दी पर बैठा। इसके समय में कुषणों का साम्राज्य छिन्न भिन्न होने लगा था। भारतवर्ष में कुषण साम्राज्य का अंत किस तरह हुआ, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता। पर इसमें सन्देह नहीं कि हुविष्क अन्तिम सम्राट् था, जिसने कुषणों के साम्राज्य को पूरी तरह से सुरक्षित रक्खा । कुषण साम्राज्य के अधःपतन का पता विशेष कर सिक्कों से चलता है। वासुदेव के पश्चात् उसके उत्तराधिकारियों के सिक्के धीरे धीरे ईरानी ढंग के होने लगे, जिससे पता लगता है कि वासुदेव के बाद उसके उत्त--- Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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