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________________ २८९ राजनीतिक इतिहास गुप्त का पुत्र चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य गद्दी पर बैठा । उसने ई० सन् ३८८ के लगभग रहे सहे शकों के राज्य भी छीनकर अपने राज्य में मिला लिये और इस प्रकार भारतवर्ष में शक राज्य सदा के लिये समाप्त हो गया। पार्थिव (पार्थियन) राजवंश पार्थिव लोग कौन थे-पार्थिव लोग प्राचीन पार्थिया के रहनेवाले थे। पार्थिवों का प्रान्त फारस के रेगिस्तान के उस ओर कैस्पियन सागर के दक्षिण-पूर्व में था । पार्थिवों को “पर” भी कहते हैं । पह्नव शब्द कदाचित् “पार्थिव" का बिगड़ा हुआ रूप है । कुछ विद्वानों का मत है कि दक्षिणी भारत का “पल्लव" राजवंश इन्हीं पार्थिवों या पह्नवों की एक शाखा है * । सेल्यूकस के समय में पार्थिया प्रान्त उसके साम्राज्य में शामिल था। पर सेल्यूकस के बाद उसके पोते एन्टिओकस थीअस के समय में अर्थात् ई० पू० २४८ के लगभग यह प्रान्त यूनानी शासन से विलकुल स्वतंत्र हो गया । इस आन्दोलन का अगुआ अर्सकेस था, जिसने फारस के अर्सकाइडन राजवंश की स्थापना की थी। धीरे धीरे पार्थिवों का प्रभुत्व फारस में भी फैल गया। किन्तु भारतवर्ष पर पार्थिवों का प्रभाव कदाचित् इसके एक सौ वर्ष बाद हुआ । भारतवर्ष के मुख्य मुख्य पार्थिव (पार्थियन ) राजाओं का हाल नीचे दिया जाता है। मिथ्रडेटस प्रथम-यह पहला पार्थिव राजा है, जिसने अपना राज्य सिन्धु नदी तक या कदाचित् उसके इस पार भी फैलाया । • Fleet-Dynasties of the Kanarese Districts. 2nd Edition. p. 316. (Bombay Gazetteer, Vol I. Part II.) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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