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बौर-कालीन भारत
२८८ (दक्षिणी काठियावाड़), श्वभ्र (उत्तरी गुजरात), मरु (मारवाड़), कच्छ, सिन्धु (सिंध), सौवीर (मुलतान), कुकुर (पूर्वी राजपूताना), अपरान्त (उत्तरी कोंकण) और निषाद (भीलों का देश) आदि देशों पर अधिकार कर लिया था। इसने एक बार यौधेय लोगों को
और दो बार आन्ध्रों के राजा पुलुमायि द्वितीय को हराया था। पुलुमायि द्वितीय का विवाह रुद्रदामन की कन्या से हुआ था। इसकी राजधानी भी उज्जैन ही थी। इसने अपने राज्य के भिन्न भिन्न प्रान्तों में सूबेदार नियत कर रक्खे थे। रुद्रदामन ने अपने आनर्त
और सुराष्ट्र के सूबेदार सुविशाख द्वारा सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार कराया था। इसी घटना की यादगार में रुद्रदामन ने जूनागढ़वाला शिलालेख खुदवाया था। झील जूनागढ़ में गिरनार पर्वत के निकट थी। पहले पहल इसे मौर्यवंशी राजा चन्द्रगुप्त के सूबेदार वैश्य पुष्यगुप्त ने बनवाया था। उक्त चन्द्रगुप्त के पौत्र सम्राट अशोक के समय ईरानी तुषास्फ ने इसमें से नहरें निकाली थीं । परन्तु महाक्षत्रप रुद्रदामन के समय इसका बाँध टूट गया। उस समय सुविशाख ने इसका जीर्णोद्धार कराया। इसी घटना की यादगार में उक्त लेख गिरनार पर्वत की चट्टान के पीछे खुदवाया गया था । अन्त में इसका बाँध फिर टूट गया । तब गुप्त वंशी राजा स्कन्दगुप्त ने ई० स० ४५८ में इसकी मरम्मत कराई ।
क्षत्रपों का अधःपतन-ईसवी तीसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही गुप्त राजाओं का प्रभाव बढ़ रहा था और आसपास के राजा उनकी अधीनता स्वीकृत करते जाते थे। इलाहाबाद के समुद्रगुप्तवाले लेख से पता लगता है कि शक लोगों ने भी समुद्रगुप्त का अधिपत्य स्वीकृत कर लिया था। ई० सन् ३८० में समुद्र
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