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________________ २५९ प्राचीन शिल्प-कला 'लित रही। हावेल साहेब के मत से अशोक के स्तम्भों के शिखर "घण्टाकार" नहीं बल्कि "अधोमुखी कमल" के आकार के हैं; और कमल के फूल भारतवर्ष में बहुत दिनों से शुभ समझे जाते हैं । अशोक ने बहुत सी इमारतें, स्तूप, चैत्य, विहार और स्तंभ आदि बनवाये थे। कहा जाता है कि तीन वर्षों में उसने चौरासी सहस्र स्तूप निर्माण कराये थे। ईसवी पाँचवीं शताब्दी के प्रारंभ में जिस समय चीनी बौद्ध यात्री फाहियान पाटलिपुत्र में आया था, उस समय भी अशोक का राजमहल खड़ा हुआ था; और लोगों का विश्वास था कि वह देव-दानवों के हाथ का बना हुआ था। अब उसकी ये सब इमारतें लुप्त हो गई हैं और उनके भग्नावशेष गंगा तथा सोन नदियों के पुराने पाट के नीचे दबे पड़े हैं। अशोक के समय के कुछ स्तूप मध्य भारत में साँची में और उसके आस पास हैं। अशोक ने गया के पास बराबर नाम की पहाड़ी में "आजीविक" संप्रदाय के तपस्वियों के लिये गुफाएँ बनवाई थीं, जिनको दीवारें बहुत ही चिकनी और साफ सुथरी हैं। ____ अशोक के बनवाये हुए स्मारकों में पत्थर पर खुदे हुए उसके लेख सब से विचित्र और महत्व के हैं। कुल मिलाकर ये लेख तीस से अधिक हैं, जो चट्टानों, गुफाओं की दीवारों और स्तम्भों पर खुदे हुए मिलते हैं। इन्हीं लेखों से अशोक के इतिहास का सच्चा पता लगता है। ये लेख लगभग कुल भारतवर्ष में, हिमालय से मैसूर तक और बंगाल की खाड़ी से अरब सागर तक, फैले हुए हैं। ये लेख ऐसे स्थानों में खुदवाये गये थे, जहाँ लोगों का आवागमन अधिक होता था। ये निम्नलिखित आठ भागों में बाँटे जा सकते हैंShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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