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बाद्ध-कालीन भारत
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तत्त्वों और अस्तित्त्व के कारणों आदि पर विचार किया गया है।
अब हम क्रम से (१) सुत्त-पिटक, (२) विनय-पिटक और (३) अभिधम्म-पिटक के ग्रन्थों की सूची देते हैं।
(१) सुत्त-पिटक सुत्तपिटक के निम्नलिखित पाँच "निकाय" या विभाग हैं(१) दीघ निकाय, अर्थात् बड़े ग्रन्थ, जिनमें ३४ सूत्र हैं।
(२) मज्झिम निकाय, अर्थात् मध्यम ग्रन्थ, जिनमें मध्यम विस्तार के १५२ सूत्र हैं।
(३) संयुक्त निकाय, अर्थात् संबद्ध ग्रन्थ, जिनमें एक दूसरे से सम्बद्ध पुरुषों या विषयों के १५६ सूत्रों का संग्रह है। ___(४) अंगुत्तर निकाय, अर्थात् ऐसे ग्रन्थ जिनमें कई भाग हैं और प्रत्येक भाग का बराबर विस्तार होता गया है।
(५) खुद्द निकाय अर्थात् छोटे ग्रन्थ, जिनमें ये १५ ग्रन्थ हैं
(१) "खुद्दकपाठ" अर्थात् छोटे छोटे वचन । (२) "धम्मपद" जिसमें धार्मिक आज्ञाओं का संग्रह है। (३) "उदान" जिसमें ८२ छोटे छोटे पद्य हैं। कहा जाता है कि इन्हें गौतम बुद्ध ने भिन्न भिन्न समयों में बड़े भाव में भरकर कहा था । (४) "इतिवृत्तक" अर्थात् बुद्ध की कही हुई ११० बातें। (५) “सुत्त-निपात" जिसमें ७० उपदेश-प्रद पद्य हैं। (६) “विमानवत्थु" जिसमें स्वर्गीय विमानों की कथाएँ हैं । (७) "पेतवत्थु" जिसमें प्रेतों का विषय है । (८) "थेरगाथा" जिसमें भिक्षुओं के पद्य हैं । (९) “थेरी गाथा" जिसमें भिक्षुनियों के पद्य हैं । (१०) "जातक" जिसमें बुद्ध के पूर्व-जन्मों की लगभभ ५५० कथाएँ हैं । (११) “निहेस" जिसमें
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