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द्वितीय खण्ड
पहला अध्याय
गजनीतिक इतिहास मौर्य काल के बाद देशी राजवंश-शुंग वंश-शुंग वंश की स्थापना -शुंग राजाओं का राज्य विस्तार-मिलिन्द (मिनैन्डर) का आक्रमण - खारवेल का हमला-पुष्यमित्र का अश्वमेध यज्ञ-बौद्धों पर पुष्यमित्र के अत्याचार-पुष्यमित्र के वंशज-काण्व वंश-वसुदेव और उसके उत्तराधिकारी-आन्ध्र वंश-आन्ध्रों का सब से प्राचीन उल्लख-सिमुक और कृष्ण-हाल शातवाहन-आन्ध्र राज्य का अधःपतन-मौर्य काल के बाद विदेशी राजवंश-यवन (यूनानी) राजवंश-सिकन्दर और सेल्यूकस के आक्रमण-एन्टिओकस थीअस-टिओडोटस प्रथमयूथिडेमस-काबुल पर एन्टिओकस थीअस का हमला-भारत में डेमेट्रिभस का अधिकार-यूक्रेटाइडीज़ के उत्तराधिकारी-मिलिन्द ( मिनेन्डर )-एन्टिएल्काइडस-हमस-भारतवर्ष पर यूनानी सभ्यता का प्रभाव-शक (सीथियन)-शकों का आगमन-उत्तरी क्षत्रप-पश्चिमी क्षत्रप-भूमक-नहपान-चष्टन-रुद्रदामन्–क्षत्रपों का अध:पतन-पार्थिव (पार्थियन) राजवंश-पार्थिव लोग कौन थे-मिथ्रडेटस प्रथम-मोमस-एजेस प्रथम-गोंडोफ़र्निस-कुषण राजवंश-कुषणों का पूर्व इतिहास-कैडफाइसिज़ प्रथम-कैडफ़ाइसिज़ द्वितीय-कनिष्क-कनिष्क-काल-कनिष्क का राज्य विस्तार-कनिष्क का धर्म-कनिष्क के समय की बौद्ध महासभा-कनिष्क की मृत्युवासिष्क-हुविष्क-वासुदेव और कुषण साम्राज्य का अन्त-ईसा की तीसरी शताब्दी अंधकारमय ।
पृष्ठ २७१ से ३०४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com