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राजनीतिक इतिहास पदवी लगाई जाती थी। दूसरी रानी अर्थात् “कारुवाकी" का नाम उस गौण स्तंभलेख में आया है, जो इलाहाबाद के किले के अन्दर एक स्तंभ पर खुदा हुआ है । उस लेख में यह भी लिखा है कि कारुवाकी "तीवर" की माता थी। मालूम होता है कि दूसरी रानी अर्थात् कारुवाकी के साथ अशोक का विशेष प्रेम था। कारुवाकी कदाचित् ज्येष्ठ राजकुमार की माता थी, जो यदि जीवित रहता, तो अवश्य राजगद्दी पर बैठता। पर शायद वह अशोक से पहले ही इस संसार से कूच कर गया था । बौद्ध दन्तकथाओं से सूचित होता है कि बहुत वर्षों तक अशोक की प्रधान महिषी "असन्धिमित्रा" नाम की थी। यह रानी बड़ी पतिव्रता और सती साध्वी थी । इसकी मृत्यु के बाद अशोक ने "तिष्यरक्षिता" नाम की एक दूसरी स्त्री से विवाह किया। कहा जाता है कि तिष्यरक्षिता अच्छे चरित्र की न थी और राजा को बहुत दुःख देती थी। राजा उस समय वृद्ध हो चला था, पर रानी अभी पूर्ण युवावस्था में थी। यह भी कहा जाता है कि अशोक की एक दूसरी रानी से कुणाल नामक एक पुत्र था। उस पर तिष्यरक्षिता आसक्त हो गई । जब उसने कुणाल पर अपना प्रेम प्रकट किया, तब उसे अपनी सौतेली माँ के इस घृणित प्रस्ताव पर बड़ा ही खेद हुआ और उसने वह प्रस्ताव बिलकुल अस्वीकृत कर दिया। इस पर रानी ने मारे क्रोध के धोखा देकर उसकी आँखें निकलवा लीं।
अशोक के उत्तराधिकारी यह नहीं कहा जा सकता कि ऊपर की दन्तकथा कहाँ तक ठीक है। यह भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि अशोक का कुणाल नामक कोई राज
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