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________________ बौर-कालीन भारत १२० "अमित्रघात" के अपभ्रंश मालूम पड़ते हैं। चन्द्रगप्त और सेल्यूकस के समय भारतवर्ष और यूनानी राज्यों के बीच जो सम्बन्ध आरंभ हुआ था, वह विंदुसार के राज्य-काल में भी बना रहा । उसके दरबार में मेगास्थिनीज़ का स्थान डेईमेकस (Delmachos) नामक राजदूत ने लिया। इस राजदूत ने भी मेगास्थिनीज़ की तरह भारतवर्ष का निरीक्षण करके बहुत सा हाल लिखा था; पर अभाग्यवश अब उसका लिखा हुआ बहुत थोड़ा हाल मिलता है। जब ई० पू० २८० में सेल्यूकस मारा गया, तब उसका स्थान उसके पुत्र ऐन्टिोकस सोटर ने लिया, जिसने भारतवर्ष के सम्बन्ध में अपने पिता की नीति का यथावत् पालन किया। ऐन्टिओकस और विन्दुसार के बीच जो लिखा पढ़ी हुई थी, उससे पता लगता है कि भारतवर्ष और पश्चिमी एशिया के बीच बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध था। विन्दुसार ने ऐन्टिओकस को एक पत्र भेजकर लिखा था-"कृपा कर मुझे थोड़े से अंजीर और अंगूर की शराब तथा एक यूनानी अध्यापक खरीदकर भेज दीजिए।" ऐन्टिओकस ने उत्तर में लिखा-"मुझे अंजीर और अंगूर की शराब भेजते हुए बड़ी प्रसन्नता हुई है; पर खेद है कि मैं आपकी सेवा में कोई अध्यापक नहीं भेज सकता; क्योंकि यूनानी लोग अध्यापक का बेचना अनुचित समझते हैं।" विन्दुसार के राज्य या शासन का कुछ भी हाल नहीं मिलता । उसके समय का कोई स्मारक या लेख भी प्राप्त नहीं है। संभव है कि उसने चन्द्रगुप्त की तरह भारतवर्ष की सीमा के अंदर ही अपने राज्य को बढ़ाने की नीति जारी रक्खी हो । विन्दुसार के पुत्र अशोक के साम्राज्य की ठीक ठीक सीमा उसके शिललेखों और स्तंभ. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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