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________________ यौर-कालीन भारत ११२. में फारस की खाड़ी में लंगर डाला। इघर सिकन्दर की नौ-सेना सिन्धु नदी के मुहाने से फारस की ओर रवाना हुई; और उधर स्वयं उसने कुछ फौज लेकर पश्चिमी पंजाब तथा सिन्धु प्रदेश को जीतने के लिये कूच किया। आती बार वह गन्धार प्रदेश तथा उत्तरी पंजाब को जीतता हुआ भारत में आया था। जाती बार वह दूसरे रास्ते से पश्चिमी पंजाब तथा सिन्धु प्रदेश को जीतता हुआ फारस की ओर गया । ई० पू० ३२५ में भारतवर्ष से रवाना होने के पहले सिकन्दर ने अपने अफसरों तथा भारतीय राजाओं का एक दरबार करके उसमें पोरस को मेलम और व्यास नदियों के बीच के जीते हुए प्रदेश का शासक नियत किया; तथा तक्षशिला के राजा को झेलम और सिन्धु नदियों के बीचवाले प्रदेश का राजा बनाया। भारतवर्ष छोड़ने के एक वर्ष बाद ई० पू० ३२३ में विश्व-विजयी सिकन्दर बैबिलोन में परलोकवासी हुआ । उसकी मृत्यु से भारतवर्ष में मकदूनिया के राज्य का भी एक तरह से अन्त हो गया । चन्द्रगुप्त मौर्य ने हिन्दुओं को संघटित करके उन यूनानियों के विरुद्ध बलवा किया, जिन्हें सिकन्दर पश्चिमोत्तर प्रान्त तथा पंजाब पर यूनानी शासन स्थिर रखने के लिये छोड़ गया था। इस बलवे का एक मात्र नेता चन्द्रगुप्त मौर्य था । बलवा करने के बाद चन्द्रगुप्त अपने कुटिल मंत्री चाणक्य की सहायता से नन्द वंश के अन्तिम राजा को मारकर ई० पू०३२२* के लगभग मगध राज्यके सिंहासन पर बैठा और समस्त भारतवर्ष का एक-छत्र सम्राट हो गया। ___ * जैन ग्रन्थों के आधार पर श्रीयुक्त काशीप्रसाद जायसवाल का मत है कि चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य-काल कदाचित् ई. पू. ३२५ से प्रारंभ हुया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com -
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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