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________________ धौर-कालीन भारत ९२ से उसके बारे में प्रश्न करूँ।" संघ की आज्ञा मिलने पर वह उस व्यक्ति से प्रश्न करता था-"क्या तुमको कोढ़, क्षय या इसी तरह की कोई दूसरी बीमारी तो नहीं है ? तुम नपुंसक तो नहीं हो ? तुम किसी के दास तो नहीं हो ? तुम किसी के ऋणी तो नहीं हो ? तुम सरकारी सेवा में तो नहीं हो ? क्या तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हें इसके लिये आज्ञा दे दी है ? तुम बीस वर्ष से कम के तो नहीं हो ? तुम्हारा भिक्षा-पात्र और वस्त्र तो ठीक हैं ? तुम्हारा नाम क्या है ? तुम्हारे उपाध्याय का नाम क्या है ?" ___ इन प्रश्नों का सन्तोषजनक उत्तर मिलने पर एक विद्वान् और योग्य भिक्षु संघ के सामने यह ज्ञप्ति या प्रस्ताव उपस्थित करता था-"मैं संघ को यह सूचित करता हूँ कि अमुक नाम का यह व्यक्ति अमुक नाम के उपाध्याय से उपसंपदा ग्रहण करना चाहता है । वह सब तरह से उपसंपदा के योग्य है। उसके वस्त्र और भिक्षा-पात्र भी ठीक है। वह उपसम्पदा ग्रहण करने के लिये संघ की आज्ञा चाहता है । यदि संघ आज्ञा दे, तो वह अमुक नाम के उपाध्याय से उपसम्पदा ग्रहण करे। यदि कोई इस प्रस्ताव के विरुद्ध हो, तो बोले ।" इसी तरह वह संघ के सामने तीन बार घोषणा करता था । जब समस्त संघ यह प्रस्ताव स्वीकृत कर लेता था, तब वह संघ में भर्ती किया जाता था और उसका उपसम्पदा संस्कार पूरा होता था । पर दो प्रकार के व्यक्ति ऐसे थे, जो संघ में किसी प्रकार भर्ती नहीं किये जाते थे । उनमें से एक तो वे लोग थे, जो पहले किसी विरुद्ध धर्म में थे, पर किसी कारण से बौद्ध संघ में आना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034762
Book TitleBauddhkalin Bharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJanardan Bhatt
PublisherSahitya Ratnamala Karyalay
Publication Year1926
Total Pages418
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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