SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६४ ) मादि बनाया जाता हो उसे एक वर्ष तक कैद तथा जुर्मानेकी सज़ा दी जायगो। खुलासा-इम घागके अनुसार वे लड़के या लड़कियाँ नाबालिग समझे जायेंगे जिन्हें न्यायालय १८ वषसे नीचे होनेका निर्णय दे दे, वशर्ते कि इससे विपरीत सिद्ध न हो। ____ (५) यदि कोई नबालिग लड़का अथवा लड़की साधु माध्वीके रूपमें दीक्षित कर लिया गया तो दीक्षा देने वाले सम्प्रदायके धर्मशाखोंमें कुछ भी लिखा हो, उसकी दीक्षा अनियमित और गलत सकझो जायगी और वह लड़का या लड़की ऐसा ही माना जायगा जैसा वह बिना दीक्षाके माना जाता। (६) न्याय-इस बिलके अन्तर्गत होने वाले अपराधोंकी जाँच फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट करेगा। यह अपराध पुलिसके हस्तक्षेप योग्य समझा जायगा तथा इसके लिये जमानत ली जा सकेगी। उद्देश्य और हेतु सभी लोग इस बातको एक मतसे स्वीकार करेंगे कि नाबालिगों में ऐसा परिपक ज्ञान और निर्णय शक्ति नहीं होती जिससे वे उस दीक्षाके मथको अच्छी तरह समझ सकें जो कभी कभी हम लोगोंमें होती हैं । मुनि जीवन बड़ा कठोर होता है और एक नाबालिग लड़के या लड़कीसे यह आशा नहीं की जा सकती कि वह उस कम उम्र में ऐसा कठोर निश्चय कर सके । इस बिलका ध्येय किसी समाज विशेषकी धार्मिक भावनाओं में हस्तक्षेप करना नहीं है और न ही ऐसी दीक्षाओंकी पवित्रताको कम करना है, किन्तु नाबालिग बच्चों के हितकी रक्षा करना ही इस बिलका ध्येय है। इस प्रकारकी दीक्षामोंका प्रत्यक्ष परिणाम यही होता है कि अधिकतर मामलोंमें दीक्षित स्वयं और उसे दीक्षा देने वाली संस्था दोनों बदनाम होते हैं। माओंकी पनाही इसका है कि नाम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034760
Book TitleBaldiksha Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndrachandra Shastri
PublisherChampalal Banthiya
Publication Year1944
Total Pages76
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy