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( ४६ ) के लिए समर्थ माना है। दीक्षा एक धार्मिक कार्य है। इसके लिए प्रतिबन्ध लगाना धार्मिक कार्यों में स्वतन्त्रता देनेवाले कानूनका विरोध करना है।
उत्तर-धार्मिक कार्यों में स्वतन्त्रता देनेवाले कानूनकी यह मंशा नहीं है कि बालक ऐसे कार्यमें भी स्वतन्त्र है जिसमें वह ठगा जाय या अपनी सम्पत्तिसे हाथ धो बैठे। दीक्षा प्रतिवन्धक कानून दीक्षा के सिवाय बालकके और किसी धार्मिक कायमें बाधा नहीं डालता। केवल उसे उस नुक्सानसे बचाना चाहता है जिसे दीक्षा लेनेपर उसे भुगतना पड़ना है। इसलिये धार्मिक स्वतन्त्रता और बाल-दोक्षाप्रतिबन्धक कानूनकी मंशाओंमें कोई विरोध नहीं है।
(४) यह सिद्धान्त जनताको धार्मिक स्वतन्त्रताके सिद्धान्त पर आघात पहुंचाता है, जिस सिद्धान्तको संसारकी समस्त सभ्य गवर्नमेण्टोंने माना है। अपने-अपने धर्मके अन्दर रह कर धार्मिक उन्नति कैसे की जा सकती है. यह भिन्न-भिन्न मतावलम्बी ही जान सकते हैं। यदि बीकानेर असेम्बली धार्मिक क्रियाओं एवं मतोंपर रुकावट डालना चाहेगो तो वह अपने कार्यक्षेत्रसे बाहर चली जायगी और उसका हस्तक्षेप अनुचित होगा। ___ उत्तर-जिससे आध्यात्मिक विकास हो उसे धर्म कहते हैं। आध्यात्मिक विकासके मार्ग अनेक हो सकते हैं। इसलिए राजनीतिका यह पहलू रहा है कि किसी व्यक्तिको इस बातके लिए वाध्य न किया जाय कि वह अमुक मार्गका ही अवलम्बन करे। जो प्रथा ऐसी है, जिससे विकासके स्थान पर पतन हो, आध्यात्मिक संस्था
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