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(१२) दुष्ट-कषाय और इन्द्रिय विषयोंके अधीन रहनेवाला।
(१३) निबद्ध-जिसकी स्मरण शक्ति इतनी खराब हो कि तीर्थङ्करोंके नाम भी याद न रख सके।
(१४) ऋणी-राजा, व्यापारी अथवा और किसीके कर्जसे दबा हुआ।
(१५) जंगित–वेश्यादि किसी निन्दित पेशेवाले घरमें उत्पन्न हुआ अथवा नीच कर्म करनेवाला ।
(१६) अवबद्ध-धन अथवा विद्याग्रहण आदिके लिए जो अमुक समयके लिये बँधा हुआ हो, जिसके दीक्षा देनेसे बन्धनकी शत्रं टूटती हों।
(१७) भृत्य-दैनिक अथवा मासिक वेतन पर काम करने वाला। ऐसा व्यक्ति जब तक अपने कार्यको पूरा करके नौकरीसे अलग नहीं हो जाता, तब तक दीक्षा का अधिकारी नहीं होता।
(१८) शिष्यनिष्फेटिका-जिसे दीक्षा देनेकी माता पिताकी आज्ञा न हो अथवा बड़ोंकी अनुमतिके बिना भगाकर लाया गया हो।
जिस प्रकार अठारह प्रकारके पुरुषोंको दीक्षाके अयोग्य बताया है, उसी प्रकार स्त्रियाँ भी दीक्षाके अयोग्य हैं। उपरोक्त अठारहके सिवाय नीचे लिखे दो प्रकारकी स्त्रियां भी दीक्षा योग्य नहीं होती।
(१) गर्भवती। (२) दूधपीते बच्चे वाली। आचार दिनकर पत्र ७४, धर्मसंग्रह ०३ गा० ७८
तथा प्रवचन सारोद्धार १०७-१०८ द्वार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com