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अनायिमुनि
बे बोल
* ___आ अनाथिमुनि-चरित्रना प्रकाशन माटे कच्छ अष्टकोटिबृहत्पक्षना युवाचार्य महाराज श्रीनागचन्द्रजी स्वामीना बालब्रह्मचारी, विद्यारसिक शिष्य मुनि श्रीछोटालालजी स्वामीनी दीक्षा संवत् १९८८ना फाल्गुन शुदि १० गुरुवारे कच्छ लुणीमां थयेल, ते प्रसंगे कच्छदेशना गामो भोजाय अने उनडोठना श्रीसंघोए भरावेल पसलीनी एकट्ठी थयेल रकमनी आर्थिक साहाय्यथी आ चरित्र छपाववामां आवेल छे. तेथी ते ते गामोना श्रीसंघोनो आ स्थले आभार मानवामां आवे छे.
धनिको पोताना द्रव्यनो आवो सदुपयोग आवी रीते उत्तम पुस्तकोना प्रकाशन माटे अने धर्म अर्थे हरहमेशां करवा प्रेराय एवो समय त्वराथी आवी लागे एम हुँइच्छुछु. श्लोकः- उपजातिः
कालानुभावान्मतिमान्द्यतश्च, शानागमः पुस्तकमन्तरेण ।
न स्यादतो ग्रन्थप्रकाशन हि, श्राद्धस्य युक्त नितरां विधातुम् ॥ १॥ आबालवृद्धो सहु आ अनाथिमुनि चरित्रनी पवित्र कथा वांचशे, वंचावशे अने यथाशक्ति जीवनमा उतारशे तो आ दाननी सार्थकता थशे अने आ चरित्र योजकनो प्रयास सफल थयो गणाशे.
____ आ चरित्रनां प्रुफो, जीर्णगढ (जूनागढ) निवासी थिरपुर (थराद) इंग्लीश स्कूलना हेडमास्तर रा. रा.
चरित्रम्
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