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अधिकमास निर्णय.
में बडाताज्जुब करताहु कि-वात कुछभी नहीथी मगर बढाकर कितनी लंबी करदिइ ? इस किताबके पढनसे अकल मंदलोग खुद समज लेयगेकि अधिक महिना बेशक ! कालपुरुषकी चोटी समानहै, इसकों चातुर्मासिक वार्षिक और कल्याणिक पर्वके व्रत नियममे गिनना नहीं, यह बात बहुत ठिकहै.
५-खरतरगछके मुनि श्रीमणिसागरजी अपनी बनाइहुइ किताब लघुपर्युषण निर्णयमे लिखतेहै. चंद्रप्रज्ञप्ति सूर्यमज्ञप्ति जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति भगवती अनुयोगद्वारनिशीथचूर्णि वृहत्कल्पचूर्णि प्रवचन सारोद्वार ज्योतिष्करंडकवगेरा जैनशास्त्रोम गिनतीमे लियाहै ( जवाब) अभिवर्द्धित संवत्सर तेरहमहिनोका होताहै. इतनाहि इनमें बयानहै. और यहबात जगजाहिरहै. मगर चातुमासिक वार्षिक और कल्याणिक वगेरा पर्वके व्रत नियमकी अपेक्षा गिनतीमे लेना एसा बयान नहीं है. अगर एसा बयानहो तो कोइ पाठ बतलावे, बात चलतीहै दो भादवेकी और चलेजातेहै अभिवर्द्धित संवत्सरमें, जैनज्योतिषके फरमानसे चौमासेमे अधिक महिना आतानही, इससालजैनज्योतिषकी रुहसे दो भादवे माहिने नहीथे, बात करना जैनशास्त्रकी और चलना अन्यमतके ज्योतिषपर यह कौन इन्साफहुवा ? और फिर इसबातकाभी जवाब देना चाहियेकि-जब दो आषाढ आतहै, आपलोग पहले आषाढमें चौमासा क्यौंनही बेठाते ? अगर कहाजाय पहेला आषाढ गृष्मरुतुमे चलागया तो जवाबमें मालुमहो, उधर पांचमहिनेका चौमासा होगया. और चौमासा होना चाहिये चारमहिनेका इसका क्याजवाब देतेहो? गिनतीमे पांच महिना मानना, और मुंहसे कहना चौमासा
यह क्या बात हुइ ? बात यह हुइकि एक आषाढको चातुShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com