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आधिकमास निर्णय. ककी बातहै या नहीं? और इस अधिकारको खरतरगछके मुनि बाचतेहै या नही? अगर बाचतेहै, तो इसबातको वर्तमान विवादका कारण समजना या नहीं? खरतर गछके मुनिश्रीयुत मणिसागरजी इस बातको सौचे, नवांगसूत्रकी टीका बनानेवाले श्रीमान् अभयदेव सूरिजीको खरतर गछवाले अपने गछमें हुवे बतलातेहै. उनकी बनाइहुइ पंचाशक सूत्रकी टीका देखो. उसमे उनोने तीर्थकर महावीरस्वामीके पांचकल्याणिक लिखेहै, छह नही लिखे. अगर कहा जाय कल्पसूत्रके पाठमें छह कल्याणिक लिखेहै, तो जवाबमें मालुमहो, कल्पसूत्रकी पुरानी टीका जो खरतर गछके निकलनेसे पहिलेकी बनीहुईहो, उसमें गर्भापहारको कल्याणिक लिखाहोतो कोइमहाशय पाठ बतलावे. मूलपाठका अर्थ जो प्राचीन टीका कारने लिखाहो, वो मंजुर करना चाहिये, अगर कल्पसूत्रके मूलपाठमें तीर्थंकर महावीरस्वामीके गर्भापहारको छठा कल्याणिक लिखाहोता तो नवांगमूत्रकी टीका बनानेवाले श्रीमान् अभयदेवसूरीजी पंचाशकसूत्रकी टीकामे पांचकल्याणिक क्यौं बयान करते? सबुतहोताहै, जब उनोने पांचही कल्याणिक बयानकिये तो जमाने उनके पांच कल्याणिकंकी मान्यता मंजुरथी छह कल्याणिककी बात उनके बाद शुरुहुइहै.
११-फिर खरतर गछके मुनि श्रीयुत माणिसागरजी अपने विज्ञापन नंबर पहिलेमे बयान करतेहै, विनयविजयजीने सुबोधिकामे शास्त्रकारमहाराजाके अभिप्राय विरुद्ध होकर बहुतबातें जिनाजाबाहिर लिखीहै, और कुयुक्तियोंकों आगेकरके तीर्थकर गणधर पूर्वधरादि पूर्वाचार्योंकी आशातना किइहै. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com