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अधिक-मास-दर्पण.
१०-कलम दसमी, मेने जो खरतर गछ समीक्षा किताब बनाइ है, उसकी जाहिर खबर अधिकमास निर्णय किताबमें छपी हुइ है, आपने पढी होगी, उसमें खरतर गछवालोंकी तर्फसे बनी हुइ किताब प्रश्नोत्तर विचार-हर्षहृदयदर्पण-और प्रश्नोत्तरमंजरीका जवाब दर्ज कर दिया है! आप जो बृहत्पर्युषण निर्णयग्रंथ बनाते थे, उसका क्या हुवा? कइ वर्स हो गये, अबतक जाहिर क्यों नही किया? जब आपका मजकुरग्रंथ जाहिर होगा, फोरन ? मेरा बनाया हुवा, खरतर गछसमीक्षा छपकर जाहिर हो जायगा आप ऐसा हर्गिज-न-समजे तप गछके मंतव्यपर कोइ आक्षेप करे और शांतिविजयजी उसका जबाब-न-देवे.
११-कलम ग्यारहमी-आप मेरी दोनों किताबोंकी एक भी भूल बतला सके नही, बारां तेरां भूले बतलाना तो दुर रहा, आपके विज्ञापन नंबर सातमेंका जबाब मेरी तीसरी किताबमें छप रहाहै, मेरी दोनों किताबोंके दरेक बयानका पुरा जबाब आप देते नहीं, सभामें देयगे ऐसा कहकर बातको लंबाते हो, मगर इन्साफ कहता है, जबाब भी दिजिये, और सभा होवे जब शास्त्रार्थभी किजिये सभा होगी तब जबाब देयगे, एसा कहकर जबाब-न देना ठीक नही.
१२-कलम बारहमी-फिर खरतर गछके मुनि मणिसागरजी अपने इस्तिहार नंबर दसमे इस मजमूनको पेश करते है, कि
आपकी दोनों किताबोंमें जैसी उत्सूत्रता भरी हुई है, वेसी तीसरी किताबमें भी भरी होगी.
जबाब-कुछ शास्त्र सवुत दे सकते हो-या-कोरी बातें ही बातें है ! शास्त्र सबुत देना नही, और दूसरेके लेखको कहदेना उत्सूत्र प्ररूपणा हैं यह कौन अकलमंद मंजुर करेगा? इन्साफ कहता हैं, शास्त्र सवुत देकर जबाब दिया करो.
१३-कलम तेहरमी-अब-में-यहां थाने में चौमासेतक मुकीम हूं, वा-कायदा सभाके जरीये सभा करना-या-ब-जरीये छापेके सवाल जबाब करते रहना दोनोंमें से किसीतरह मेरा इनकार नही, चाहे जिसतरह पेश आइ ये.
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