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( १५९ ) - पंजाबमें भारी शोक - आपकी मृत्यु का समाचार पंजाब के सभी शहरोंमें विजली की तरह फैल गया। इस समाचार को सुनते ही सन्नाटा सा छागया। पंजाबके हरएक शहरसें श्रावक लोग भारी संख्यामें गुजरांवाले में पहुंचे। आपका विमान बड़ी सजधज से निकाला गया। सहस्रों स्त्री-पुरुष विमानके साथ में थे । बड़े समारोहसे आपका दाहसंस्कार स्वर्गीय गुरु महाराज की समाधि के समीप किया गया ।
आप एक आदर्श साधु और योग्य विद्वान् तथा प्रौढ वक्ता थे। जैन समाज के अभ्युदय के लिये आपने जितना परिश्रम किया उतना हरएक साधु नहीं कर सकता। आपके हृदयमें समाज, देश और धर्मके लिये जितना प्रेम था उसका वर्णन करना कठिन है।
आपके वियोग से देश और समाजमें जो कमी हुई है उसकी पूर्ति होना कठिन है । आपने अपने जीवनकाल में उपदेश देने के अतिरिक्त कई एक उपयोगी पुस्तकें भी लिखीं। गुरुभक्ति का भाव आपमें कूट २ कर भरा हुआ था। अधिक क्या कहें आपके वियोग से जैन समाजमें एक बड़ी भारी कमी पैदा हो गई है।
इस समय आपके चार शिष्य विद्यमान हैं जिनके
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