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आपको पाट पर बिराजने की विनंति की आपने उपदेश दिया शराब नहीं पीना, मांस नहीं खाना पानी छानना आदि बातें बताईं, जिसके फलस्वरूप वहां आये हुए, लुहार, गाछा, भांबी, मीने, यादव, महत्तर, बलाई आदि जाति वालों ने गुरूदेव के चरण में शीश नमाकर स्वीकार कर प्रस्ताव स्वीकृत किया कि, जो इससे विपरीत चलेगा उससे किसी जाति ने ग्यारह-किसीने पच्चीस रुपया लेने की घोषणा की। और अनुमान पचास माईल तक के गांवों में इस घोषणा के समाचार भेज दिये, इतना बड़ा काम एक दिन के उपदेश से हो इसीका नाम योग विभूति है।
मारकुण्डेश्वर के मेले पर पाडीव निवासी चुन्नीलालजी शंकरलालजी ब्राह्मण जो बम्बई कोट कस्टम हाऊस रोड पर रहते थे उस समय मारकुण्डेश्वर में पाठशाला बनवाने को तीन हजार रुपया देने का अभिवचन दिया था। यह वृतान्त संवत् १९६० के वर्ष का है ।
एक समय की बात है कि पालीताना में देश विरतीसमाज सम्मेलन में अध्यक्ष पद पर राजा विजयसिंहजी का आगमन हुआ था तब बाबू साहब नवकुमार सिंहजी, जयकुर सिंहजी साहब भी थे, आपके तार पालीताना व अहमदाबाद से मुझे बुलाने के आने से मैं आबू गया। बातचीत कर दूसरे दिन परम पूज्य गुरुदेवकी सेवा में गये तो मेरा नाम लेकर संबोधन किया, वैसे मैंने पहले कभी दर्शन नहीं किये थे परन्तु नाम लेने की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com