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सम्मेलन हुआ था जिसमें आपने निज की ओर से एक गऊशाला बनवाने का अभिवचन दिया था, इसी तरह जोधपुर के राय बहादुर चेतनसिंहजी साहब एम० ए० एल० एल० बी ने जो राजपूत हितकारिणी सभा व काशी विश्व विद्यालय के सदस्य थे, गुरूदेव के वचन पर एक गऊशाला निज की ओर से बनवाने को और आप द्वारा उपदेश से स्थापित होने वाली संस्था के सदस्य रहने का अभिवचन दिया था। गुरूदेव ने यह कहाकि पशुरक्षा अर्थात् गाय, भैंस, घोड़े, गधे, ऊँट, बकरी, गाडरे, आदि जो दवा के प्रभाव से मरते हैं उन के लिए चिकित्सा का प्रबंध विशेष रूप से होना चाहिए, अतः इसको कार्यरूप में प्रणित करने को प्रथम बैठक आबू में हुई, रोशन भवन के स्थान में कई राजवियों की उपस्थिति में हुई सर्व सम्मति से प्रस्ताव स्वीकृत हुआ जिसका वृतान्त टाइम्स ऑफ इण्डिया बम्बई के वर्तमान दैनिक पत्र में प्रकाशित हुआ था।
संस्था का अध्यक्ष पद श्रीमान् ए० जी० जी० साहब ने स्वीकार किया कमिश्नर, पोलिटीकल एजेन्ट, पुलिस कमिश्नर साहब आदि सदस्य नियत हुए, और आबू से सक्यूलर निकला कि बीमार जानवर को गोली से मारना व जहर की पिचकारी देने की सख्त मुमानियत है, बीमार जानवर को अस्पताल में लाया जाय उसका मुफ्त इलाज होगा। ___योगिराज के मन में पशु चिकित्सालय स्थापित कराने
की जो भावना थी वह निर्माण हुई, और संस्था के स्थापित Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com