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मानव देह की विशेषता उत्तमता का उपरोक्त ज्वलंत उदाहरण है। मानवभव पाये आर्यक्षेत्र उत्तम सहयोग पाकर भी पशु जीवन व्यतीत होता हो तो समतुलना करने से पता लगेगा की उत्तमत्ता के लक्षण कितने हैं।
अजी सोने-सुवर्ण का नाम लेने से आभूषण पहिनने का . आनन्द नहीं पाता, मिष्ठान का नाम लेने से रस स्वाद नहीं प्राता, औषधियों के नाम लेने से रोग मुक्त नहीं होते, आग गाड़ी, वायुयान का नाम लेने से इच्छित स्थान पर नहीं पहुंचते । यह सब क्रियान्वित हो तो लाभ होता है। तदनुसार योगीराज की जयंति, गुणग्राम, स्तवन, कीर्तन मेला, यात्रा आदि से आत्मा को जब लाभ हो सकेगा कि योग मार्ग में प्रवेश करोगे, यदि सच्चे भक्त कहलाते हो तो इस तरफ ध्यान दो, योग विषय का प्रचार करो, ध्यान बढाने को क्रिया विधान का साहित्य प्रकाशित करामो और योग महिमा, योग साधन सामग्री स्थान के निर्माण में सहायक बनो तो आत्मोन्नति होगी।
गुरुदेव के तीन पीढी तक योगाभ्यास योगीराज के दादा गुरु से यह चला आता था, वह योगीराज के बाद नहीं रहा। इस समय पाटानुपाट उत्तरोत्तर विभुति नहीं रही इसका पूर्ण खेद है । अस्तु
संघ सेवकचंदनमल नगोरी छोटी सादड़ी (मवाड़)
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