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तेजपालकी स्त्री "अनुपमा देवी" ने नन्दीश्वरतीर्थ तप आदि अनेक तप किये थे । जैनाचार्योंको दूर दूरसे बुलाकर उन्होने उन तपस्याआँके उद्यापन (उजमणे) भी बडे आडंबरसे किये थे। ___ वस्तुपाल-तेजपालके कराये उजमणोंकी रीति भांतिका वर्णन सुनकर आँखोंसे आनन्दके आंसु टपकने लगजाते हैं। आपने सिद्धाचल-गिरनार-तारंगाहिल-पावागढ-आबु-सम्मेतशिखर आदि तीर्थोपर जिनमन्दिर बनवाये थे। ___ मालवामंडन साचोर नगरमे महावीरदेवकी यात्रामे तेज पाल मंत्रीने लाखों रुपये खर्च किये थे। इस तीर्थमे जो चरम तीर्थकरकी प्रतिमा है उसकी प्रतिष्ठा वीरनिर्वाणसे ७० वर्षके बाद रत्नप्रभ सूरिजीने अपने हाथसे कराई है, और अनेक शासनप्रभावक साधु श्रावक यहां आये हैं।
सिद्धाचल गिरनारकी १२ यात्रा आपने बडे बडे संघ निकाल कर की थी। १३ वीं यात्रा करने जा रहे थे कि काठियावाडके लींबडी गामके निकटवर्ति "अंकेवाली" गाममे वस्तुपालका स्वर्गारोहण हुआ । कपर्दियक्षके कहनेसे उनके मृतक शरीरका सिद्धाचल पर अग्निसंस्कार किया गया। तेजपाल शंखेश्वर पार्श्वनाथकी यात्रा करने जारहे थे कि रास्तेमे उनका काल होगया प्रबंध ग्रथोंसे पाया जाता है कि तेजपाल शंखेश्वर पार्श्वनाथकी यात्रा करके वापिस आर हेथे कि रास्तेमे उनका अंतकाल होगया । .. वस्तुपाल तेजपालने अनेक मुनियोंको मुरिपद दिलाए । आप सालभरमे तीन दफा साधर्मी वात्सल्य किया करते थे।
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