________________ 256 एवं व्यवस्थित रखने की गरज से ही लिखा है और इसमें भी कारणभूत तो हमारे खरतर भाई ही हैं। यदि वे इस प्रकार भविष्य में भी प्रेरणा करते रहेंगे तो मुझे भी सेवा करने का सौभाग्य मिलता रहेगा। अस्तु / आशा है कि विद्वद् समाज इस से अवश्य लाभ उठावेंगा।। नोट-मुझे इस समय खबर मिली है कि यतिजी ने 'महाजन वंश मुक्तावली' को कुछ सुधार के साथ द्वितीयावृत्ति छपवाई हैं, यदि पुस्तक मिल गई तो उसको देख कर आवश्यकता हुई तो जैनजाति निर्णय को द्वितीयावृत्ति शीघ्र ही प्रकाशित करवाई जायेगी। 1-2-38 जैन जाति निर्णय की सहायता से इति खरतरों का गप्पपुराण समाप्तम्