SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र - २, 'अनुयोगद्वार' अवक्तव्यकद्रव्य कालापेक्षया कितने काल रहते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा अजघन्य- अनुत्कृष्ट स्थिति दो समय की है और अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वकालिक है । नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का कालापेक्षया अन्तर कितने समय का होता है ? एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर दो समय है । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । कालापेक्षया नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वी द्रव्यों का अन्तर कितने समय का होता है ? एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य अन्तर दो समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल का है । अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । अनानुपूर्वीद्रव्यों की तरह नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यकद्रव्यों के विषय में भी प्रश्न है । एक द्रव्य की अपेक्षा अवक्तव्यकद्रव्यों का अन्तर एक समय का और उत्कृष्ट असंख्यात काल प्रमाण है। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है । नैगमव्यवहार नय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के कितने वें भाग प्रमाण है ? तीनों द्रव्यों के लिए क्षेत्रानुपूर्वी जैसा ही समझना । सूत्र - १३६ संग्रहनय सम्मत अनौपधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? वह पाँच प्रकार की है । अर्थपदप्ररूपणता, भंग समुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार और अनुगम । सूत्र - १३७ संग्रहनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? इन पाँचों द्वारों संग्रहनयसम्मत क्षेत्रानुपूर्वी समान जानना । विशेष यह कि प्रदेशावगाढ' के बदले स्थिति' कहना । सूत्र - १३८ औपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है ? उसके तीन प्रकार हैं- पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार है- एक समय की स्थिति वाले, दो समय की स्थिति वाले, तीन समय की स्थिति वाले यावत् दस समय की स्थिति वाले यावत् संख्यात समय की स्थिति वाले, असंख्यात समय की स्थिति वाले द्रव्यों का अनुक्रम से उपन्यास करने को पूर्वानुपूर्वी कहते हैं । पश्चानुपूर्वी क्या है ? असंख्यात समय की स्थिति वाले से लेकर एक समय पर्यन्त की स्थिति वाले द्रव्यों का व्युत्क्रम से उपन्यास करना पश्चानुपूर्वी है। अनानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार जानना कि एक से लेकर असंख्यात पर्यन्त एक-एक की वृद्धि द्वारा निष्पन्न श्रेणी में परस्पर गुणाकार करने से प्राप्त महाराशि में से आदि और अंत के दो भंगों से न्यून भंग अनानुपूर्वी हैं । अथवा औपनिधिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की है। पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी क्या है ? समय, आवलिका, आनप्राण, स्तोक, लव, मुहूर्त, दिवस, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, वर्षशत, वर्षसहस्र, वर्षशतसहस्र, पूर्वांग, पूर्व, त्रुटितांग, त्रुटित, अडडांग, अडड, अववांग, अवव, हुहुकांग, हुहुक, उत्पलांग, उत्पल, पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अर्थनिपुरांग, अर्थनिपुर, अयुतांग, अयुत, नयुतांग, नयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलि-कांग, पल्योपम, सागरोपम, अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी, पुद् गलपरावर्त, अतीताद्धा, अनागताद्धा, सर्वाद्धा रूप क्रम से पदों का उपन्यास करना काल सम्बन्धी पूर्वानुपूर्वी है । पश्चानुपूर्वी क्या है ? सर्वाद्धा, अनागताद्धा यावत् समय पर्यन्त व्युत्क्रम से पदों की स्थापना करना पश्चानुपूर्वी है । अनानुपूर्वी क्या है ? इन्हीं की एक से प्रारंभ कर एकोत्तर वृद्धि द्वारा सर्वाद्धा पर्यन्त की श्रेणी स्थापित कर परस्पर गुणाकार से निष्पन्न राशि में से आद्य और अंतिम दो भंगों को कम करने के बाद बचे शेष भंग अनानुपूर्वी हैं। सूत्र - १३९ उत्कीर्तनानुपूर्वी क्या है ? उसके तीन प्रकार हैं । पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी, अनानुपूर्वी । पूर्वानुपूर्वी क्या है ? इस प्रकार है-ऋषभ, अजित, संभव, अभिनन्दन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चन्द्रप्रभ, सुविधि, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शांति, कुन्थु, अर, मल्लि, मुनिसुव्रत, नमि, अरिष्टनेमि, पार्श्व, वर्धमान । इस क्रम मुनि दीपरत्नसागर कृत्" (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद" Page 22
SR No.034714
Book TitleAgam 45 Anuyogdwar Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy