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आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र-२, 'अनुयोगद्वार' द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वी अवक्तव्यकों रूप हैं, अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वियों
और अवक्तव्य रूप है, अनेक परमाणु पुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप हैं । अथवा-त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी-अनानुपूर्वी-अवक्तव्यक रूप है, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यकों रूप है, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यक रूप है, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप है, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिकस्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक रूप है, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वी और अवक्तव्यकों रूप है, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध अनेक परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों, अनानुपूर्वियों और अवक्तव्यक रूप है, अनेक त्रिप्रदेशिकस्कन्ध, अनेक परमाणुपुद्गल और अनेक द्विप्रदेशिकस्कन्ध अनुपूर्वियों-अनानुपूर्वियों-अवक्तव्यकों रूप हैं। सूत्र-८९
समवतार क्या है ? नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में समव-तरित होते हैं, अनानुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? आयुष्मन् ! नैगमव्यवहारनयसम्मत् आनु-पूर्वीद्रव्य केवल आनुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं । नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वी द्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अनानुपूर्वीद्रव्यों में या अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अनानुपूर्वीद्रव्य केवल अनानुपूर्वीद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं । नैगमव्यवहारनयमान्य अवक्तव्यद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अनानुपूर्वीद्रव्यों में या अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? अवक्तव्यकद्रव्य केवल अवक्तव्यकद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं। सूत्र-९०-९१
अनुगम क्या है ? नौ प्रकार का है, सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व । सूत्र - ९२
नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? अवश्य हैं । ईसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक-द्रव्य को भी जानना । सूत्र - ९३
नैगम-व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वे अनन्त ही हैं । इसी प्रकार शेष दोनों भी अनन्त हैं। सूत्र - ९४
नैगम-व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य (क्षेत्र के) कितने भाग में अवगाढ हैं ? क्या लोक के संख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? क्या संख्यात भागों में अवगाढ हैं ? असंख्यात भागों में अवगाढ हैं ? अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? किसी एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा कोई लोक के संख्यातवें भाग में, कोई लोक के असंख्यातवें भाग में तथा कोई एक आनुपूर्वी द्रव्य लोक के संख्यात भागों में रहता है और कोई एक आनुपूर्वी द्रव्य असंख्यात भागों में रहता है और कोई एक द्रव्य समस्त लोक में अवगाढ होकर रहता है । किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा तो वे नियमतः समस्त लोक में अवगाढ हैं।
नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यात भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यात भाग में अवगाढ हैं ? संख्यात भागों में है या असंख्यात भागों में हैं अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? एक अनानुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा वह लोक के असंख्यातवें भाग में ही अवगाढ है, किन्तु अनेक अनानुपूर्वीद्रव्यों की मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद'
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