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________________ आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र-२, 'अनुयोगद्वार' सूत्र-८३ नैगमनय और व्यवहारनय द्वारा मान्य अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? उसके पाँच प्रकार हैं । अर्थपदप्ररूपणा, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार और अनुगम । सूत्र-८४ भगवन् ! नैगम-व्यवहारनयसंमत अर्थपद की प्ररूपणा क्या है ? त्र्यणुकस्कन्ध आनुपूर्वी है । इसी प्रकार चतुष्प्रदेशिक आनुपूर्वी यावत् दसप्रदेशिक, संख्यातप्रदेशिक, असंख्यातप्रदेशिक और अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है। किन्तु परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वी रूप है । द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है। अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत् अनेक अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियाँ-अनेक आनुपूर्वी रूप हैं । अनेक पृथक्-पृथक् पुद्गल परमाणु अनेक अनानुपूर्वी रूप हैं । अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनेक अवक्तव्य हैं। सूत्र-८५ नैगम-व्यवहारनयसंमत इस अर्थपदप्ररूपणा रूप आनुपूर्वी से क्या प्रयोजन सिद्ध होता है ? इनसे भंगसमुत्कीर्तना की जाती है। सूत्र - ८६ नैगम-व्यवहारनयसंमत भंगसमुत्कीर्तन क्या है ? वह ईस प्रकार हैं-आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्य है, आनुपूर्वियाँ हैं, (अनेक) अवक्तव्य हैं । अथवा-आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी है, आनुपूर्वी और अनानुपूर्वियाँ हैं, आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वी है, आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वियाँ हैं । अथवा-आनुपूर्वि और अवक्तव्यक है, आनुपूर्वी और (अनेक) अवक्तव्य हैं, आनुपूर्वियाँ और अवक्तव्य है, आनुपूर्वियाँ और (अनेक) अवक्तव्य हैं। अथवा-अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, अनानुपूर्वी और (अनेक) अवक्तव्य हैं, अनानुपूर्वियाँ और (एक) अवक्तव्य है, अनानुपूर्वियाँ और अनेक अवक्तव्य हैं । अथवा-आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अनेक अवक्तव्य हैं, आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियाँ और अवक्तव्य है, आनुपूर्वी, अनानुपूर्वियाँ और अनेक अवक्तव्य हैं, आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वी और अनेक अवक्तव्य हैं, आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वियाँ और अवक्तव्य हैं, आनुपूर्वियाँ, अनानुपूर्वियाँ और अनेक अवक्तव्य हैं । इस प्रकार यह आठ भंग हैं। सब मिलकर छब्बीस भंग होते हैं। सूत्र -८७ इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? उसके द्वारा भंगोपदर्शन किया जाता है। सूत्र-८८ नैगम-व्यवहारनयसंमत भंगोपदर्शनता क्या है ? वह इस प्रकार है-त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी है, द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है, त्रिप्रदेशिक अनेक स्कन्ध आनुपूर्वियाँ हैं, अनेक परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वियाँ हैं, अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्यक हैं । त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी रूप है, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी और अनानुपूर्वियों का वाच्यार्थ है, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वी है, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक परमाणुपुद्गल आनुपूर्वियों और अनानुपूर्वियों का रूप है। अथवा-त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी-अवक्तव्य रूप है, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी अवक्तव्यक रूप हैं, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियाँ और अवक्तव्य रूप हैं, अनेक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वियों और अवक्तव्यकों रूप हैं । अथवा परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वी अवक्तव्यक रूप है, परमाणुपुद्गल और अनेक मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 13
SR No.034714
Book TitleAgam 45 Anuyogdwar Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size3 MB
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