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आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, ‘उत्तराध्ययन'
अध्ययन/सूत्रांक सूत्र- ३२६
बुद्ध-तत्त्वज्ञ और उपशान्त होकर पूर्ण संयत भाव से तू गांव एवं नगर में विचरण कर । शान्ति मार्ग को बढ़ा । गौतम ! इसमें समय मात्र का भी प्रमाद मत कर । सूत्र- ३२७
अर्थ और पद से सुशोभित एवं सुकथित भगवान की वाणी को सुनकर, राग-द्वेष का छेदन कर गौतम सिद्धि गति को प्राप्त हुए। -ऐसा मैं कहता हूँ।
अध्ययन-१० का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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