________________ आगम सूत्र 41/2, मूलसूत्र-२/२, पिंडनियुक्ति' नहीं होती। लेकिन कर्म की निर्जरा करवाती है। 41/2 'पिंडनियुक्ति' आगमसूत्र का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण नमो नमो निम्मलदंसणस्स પૂજ્યપાદુ શ્રી આનંદ-ક્ષમા-લલિત-સુશીલ-સુધર્મસાગર ગુરૂભ્યો નમ: X XXXXXXXXXXXXXXX XXCOXXXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOXOCO XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX XXXXXXXXXXX XOXOXOXXXXXXXXXXXXXXX OXXXXXXXXCCCCCCXXXXCCCCCX XXXXXXXXXXXOXOXOXOXOXOXXXXXXXXXX XXXXXXXXXXXXXXXXXXX XXWXWXXCOXOXXXXX XXXXXXXXXXXXX 41/2 पिंडनियुक्ति आगमसूत्र हिन्दी अनुवाद ' [अनुवादक एवं संपादक आगम दीवाकर मुनि दीपरत्नसागरजी ' [ M.Com. M.Ed. Ph.D. श्रुत महर्षि ] वेबसाईट:- (1) www.jainelibrary.org (2) deepratnasagar.in भेला भेड्रेस:- jainmunideepratnasagar@gmail.com भोपाल 09825967397