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________________ सूत्र आगम सूत्र २६, पयन्नासूत्र-३, 'महाप्रत्याख्यान' सूत्र-१३८ पंडित पुरुष चार भेदवाली उत्कृष्ट आराधना का आराधन कर के कर्म रज रहित होकर उसी भव में सिद्धि प्राप्त करता है, तथासूत्र - १३९ चार भेद युक्त जघन्य आराधना का आराधन करके सात या आठ भव संसार में भ्रमण करके मुक्ति पाता है सूत्र - १४० मुझे सर्व जीव के लिए समता है, मुझे किसी के साथ वैर नहीं है । मैं सर्व जीवों को क्षमा करता हूँ और सर्व जीवों से क्षमा चाहता हूँ । सूत्र-१४१ धीर को भी मरना है और कायर को भी यकीनन मरना है। दोनों को मरना तो है फिर धीररूप से मरना ज्यादा उत्तम है। सूत्र-१४२ सुविहित साधु यह पच्चक्खाण सम्यक् प्रकार से पालन करके वैमानिक देव होता है या फिर सिद्धि प्राप्त करता है। (२६) महाप्रत्याख्यान-प्रकीर्णक-३ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(महाप्रत्याख्यान)” आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 15
SR No.034693
Book TitleAgam 26 Mahapratyakhyan Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages16
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 26, & agam_mahapratyakhyan
File Size2 MB
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