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आगम सूत्र २५, पयन्नासूत्र-२, 'आतुरप्रत्याख्यान'
सूत्रमरना है, तो धीरपन से मरना ही यकीनन सुन्दर है। सूत्र-६६
शीलवान को भी मरना पड़ता है, शील रहित पुरुष को भी यकीनन मरना पड़ता है, दोनों को भी निश्चय कर के मरना है, तो शील सहित मरना ही निश्चय से प्रशंसनीय है। सूत्र-६७
जो कोई भी चारित्रसहित ज्ञान में, दर्शन में और सम्यक्त्व में, सावधान होकर प्रयत्न करेगा तो विशेष कर के संसार से मुक्त हो जाएगा। सूत्र-६८
लम्बे समय तक ब्रह्मचर्य का सेवन करनेवाला, शेष कर्म का नाश कर के और सर्व क्लेश का नाश कर के क्रमिक शुद्ध होकर सिद्धि में जाता है। सूत्र-६९
कषाय रहित, दान्त (पाँच इन्द्रिय और मन का दमन करनेवाला), शूरवीर, उद्यमवंत और संसार से भयभ्रांत हुए आत्मा का पच्चक्खाण अच्छा होता है। सूत्र-७०
धीर और मोह रहित ज्ञानवाला जिस मरण के अवसर पर यह पच्चक्खाण करेगा तो वह उत्तम स्थानक को प्राप्त करेगा। सूत्र - ७१
धीर, जरा और मरण को जाननेवाला, ज्ञानदर्शन से युक्त लोक में उद्योत को करनेवाले ऐसे वीरप्रभु सर्व दुःख का क्षय बतानेवाले हो।
(२५)आतुरप्रत्याख्यान-प्रकीर्णक-२ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (आतुरप्रत्याख्यान) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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