SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम सूत्र २१,उपांगसूत्र-१०, 'पुष्पिका' अध्ययन/सूत्र को प्राप्त हुआ। -हे गौतम ! इस प्रकार से उस शुक्रमहाग्रह देव ने वह दिव्य देवऋद्धि, द्युति यावत् दिव्य प्रभाव प्राप्त किया है। उसकी वहाँ एक पल्योपम की स्थिति है । भदन्त ! वह शुक्रमहाग्रह देव आयु, भव और स्थिति का क्षय होने के अनन्तर उस देवलोक से च्यवन कर कहाँ जाएगा? वह शुक्रमहाग्रह देव आयुक्षय, भवक्षय और स्थिति क्षय के अनन्तर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा, यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा। आयुष्मन् जम्बू ! इस प्रकार श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त महावीर ने पुष्पिका के तृतीय अध्ययन में इस भाव का निरूपण किया है, ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन-३-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् (पुष्पिका) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 12
SR No.034688
Book TitleAgam 21 Pushpika Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 21, & agam_pushpika
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy