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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्णपरिणत भी होते हैं, यावत् स्पर्श से-रूक्षस्पर्श-परिणत भी । जो संस्थान से-त्रयस्रसंस्थानपरिणत हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत हैं, यावत् स्पर्श से-रूक्षस्पर्श-परिणत भी । जो संस्थान से चतुरस्रसंस्थानपरिणत हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् स्पर्श से-रूक्षस्पर्श-परिणत भी । जो संस्थान से आयतसंस्थान-परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् स्पर्श से-रूक्षस्पर्श-परिणत भी होते हैं। यह हुई रूपी-अजीव-प्रज्ञापना। सूत्र-१४
वह जीवप्रज्ञापना क्या है ? दो प्रकार की है । संसार-समापन्न जीवों की प्रज्ञापना और असंसार-समापन्न जीवों की प्रज्ञापना। सूत्र-१५
वह असंसारसमापन्नजीव-प्रज्ञापना क्या है ? दो प्रकार की है । अनन्तरसिद्ध और परम्परसिद्ध-असंसारसमापन्नजीव-प्रज्ञापना। सूत्र - १६
वह अनन्तरसिद्ध-असंसारसमापन्नजीव-प्रज्ञापना क्या है ? पन्द्रह प्रकार की है । (१) तीर्थसिद्ध, (२) अतीर्थसिद्ध, (३) तीर्थंकरसिद्ध, (४) अतीर्थंकरसिद्ध, (५) स्वयंबुद्धसिद्ध, (६) प्रत्येकबुद्धसिद्ध, (७) बुद्धबोधितसिद्ध, (८) स्त्रीलिंगसिद्ध, (९) पुरुषलिंगसिद्ध, (१०) नपुंसकलिंगसिद्ध, (११) स्वलिंगसिद्ध, (१२) अन्यलिंगसिद्ध, (१३) गृहस्थलिंगसिद्ध, (१४) एकसिद्ध और (१५) अनेकसिद्ध । सूत्र-१७
वह परम्परसिद्ध-असंसारसमापन्न-जीव-प्रज्ञापना क्या है ? अनेक प्रकार की है । अप्रथमसमयसिद्ध, द्विसमयसिद्ध, त्रिसमयसिद्ध, यावत्-संख्यातसमयसिद्ध, असंख्यात समयसिद्ध और अनन्तसमयसिद्ध । सूत्र-१८
वह संसारसमापन्नजीव-प्रज्ञापना क्या है ? पाँच प्रकार की है । एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय संसार-समापन्न-जीवप्रज्ञापना । सूत्र - १९
वह एकेन्द्रिय-संसारसमापन्नजीव-प्रज्ञापना क्या है ? पाँच प्रकार की है । पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक । सूत्र-२०
___ वे पृथ्वीकायिक जीव कौन-से हैं ? दो प्रकार के हैं-सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक । सूत्र-२१
सूक्ष्मपृथ्वीकायिक क्या हैं ? दो प्रकार के हैं । पर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथ्वीकायिक सूत्र - २२
बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ? दो प्रकार के हैं । श्लक्ष्ण और खरबादरपृथ्वीकायिक । सूत्र-२३
श्लक्ष्ण बादरपृथ्वीकायिक क्या हैं ? सात प्रकार के हैं । कृष्णमृत्तिका, नीलमृत्तिका, लोहितमृत्तिका, हारिद्र मृत्तिका, शुक्लमृत्तिका, पाण्डुमृत्तिका और पनकमृत्तिका । सूत्र - २४
खर बादरपृथ्वीकायिक कितने प्रकार के हैं ? अनेक प्रकार के हैं।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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