________________
आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष स्पर्श के रूप में परिणत । संस्थानपरिणत पाँच प्रकार के हैं । परिमण्डल, वृत्त, व्यस्र, चतुरस्र और आयत संस्थान के रूप में परिणत ।
___ जो वर्ण से काले वर्ण में परिणत हैं, उनमें से गन्ध की अपेक्षा से सुरभिगन्ध-परिणत भी होते हैं, दुरभिगन्ध परिणत भी । रस से तिक्तरस-परिणत भी होते हैं, यावत् मधुररस-परिणत भी होते हैं । उनमें से स्पर्श से कर्कशस्पर्शपरिणत भी होते हैं, यावत् रूक्षस्पर्श-परिणत भी । वे संस्थान से परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी होते हैं । जो वर्ण से नीले वर्ण में परिणत होते हैं, उनमें से गन्ध की अपेक्षा सुगन्ध-परिणत भी होते हैं और दुर्गन्ध-परिणत भी; रस से तिक्तरस-परिणत भी होते हैं, यावत् मधुररस-परिणत भी । (वे) स्पर्श से
त भी होते हैं यावत रूक्षस्पर्श-परिणत भी । (वे) संस्थान से परिमण्डलसंस्थान-परिणत भी होते हैं. यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो वर्ण से रक्तवर्ण-परिणत हैं, उनमें से कोई गन्ध से सुगन्धपरिणत होते हैं, यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो वर्ण से हारिद्र वर्ण-परिणत होते हैं, उनमें से कोई गन्ध से सुगन्ध-परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो वर्ण से शुक्लवर्ण-परिणत होते हैं, उनमें से कोई सुगन्ध परिणत भी होते हैं यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी।
जो गन्ध से सुगन्ध-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण यावत शुक्लवर्ण-परिणत भी होते हैं । वे रस सेतिक्तरस यावत् मधुररस-परिणत भी होते हैं । स्पर्श से-कर्कशस्पर्श यावत् और रूक्षस्पर्श-परिणत भी होते हैं । (वे) संस्थान से-परिमण्डलसंस्थान यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी होते हैं । जो गन्ध से-दुर्गन्धपरिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी होते हैं।
जो रस से तिक्तरस-परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् शुक्लवर्ण-परिणत भी। गन्ध से सुगन्ध-परिणत भी और दुर्गन्ध-परिणत भी होते हैं । स्पर्श से-(वे) कर्कशस्पर्श-परिणत होते हैं, यावत् रूक्ष स्पर्श-परिणत भी । संस्थान से-वे परिमण्डलसंस्थान परिणत भी होते हैं, यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो रस से-कटुरस-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो रस से कषायरस-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान-परिणत भी। जो रस से अम्लरस-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान परिणत भी। जो रस से मधुररस-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् संस्थान से-आयत संस्थानपरिणत भी । जो स्पर्श से कर्कशस्पर्श-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं यावत् संस्थान सेआयतसंस्थान-परिणत भी।
जो स्पर्श से मृदु स्पर्श-परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण यावत् शुक्लवर्ण-परिणत भी होते हैं । गन्ध सेसुगन्धपरिणत भी और दुर्गन्धपरिणत भी होते हैं । रस से-(वे) तिक्तरस यावत् मधुररस-परिणत भी । स्पर्श से-(वे) गुरुस्पर्श यावत् रूक्षस्पर्श-परिणत भी होते हैं । संस्थान से-परिमण्डलसंस्थान यावत् आयतसंस्थान-परिणत भी । जो स्पर्श से गुरुस्पर्श-परिणत होते हैं, वे वर्ण से कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान-परिणत भी । जो स्पर्श की अपेक्षा से-लघु स्पर्श से परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं; यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान-परिणत भी । जो स्पर्श से-शीतस्पर्शपरिणत होते हैं; वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान-परिणत भी । जो स्पर्श से उष्णस्पर्श-परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण परिणत भी होते हैं, यावत् संस्थान से-आयतसंस्थान-परिणत भी । जो स्पर्श से स्निग्धस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण-परिणत भी यावत् संस्थान से-आयातसंस्थान-परिणत भी होते हैं । जो स्पर्श से रूक्षस्पर्श-परिणत हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्णपरिणत भी होते हैं यावत् संस्थान से-आयतसंस्थानपरिणत भी होते हैं।
जो संस्थान से-परिमण्डलसंस्थान-परिणत होते हैं, वे वर्ण से-कृष्णवर्ण यावत् शुक्लवर्ण-परिणत भी होते हैं । गन्ध से-(वे) सुगन्ध-परिणत भी होते हैं और दुर्गन्ध-परिणत भी । रस से-तिक्तरस यावत् मधुररस-परिणत भी होते हैं। स्पर्श से-(वे) कर्कशस्पर्श यावत् रूक्षस्पर्श-परिणत भी होते हैं । जो संस्थान की अपेक्षा से-वृत्तसंस्थान
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 6