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________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश/सूत्र सूत्र-६०९ __ भगवन् ! कषायसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! चार-क्रोधसमुद्घात, मानससमुद्घात, मायासमुद्घात और लोभसमुद्घात । नारकों के कितने कषायसमुद्घात हैं ? गौतम ! चारों हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । एकएक नारक के कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं, किसी के नहीं । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो अथवा तीन और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होते हैं । इस प्रकार वैमानिक तक समझना । इसी प्रकार लोभसमुद्घात तक समझना । ये चार दण्डक हुए। (बहुत) नैरयिकों के कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी क्रोधसमुद्घात कितने होते हैं? वे भी अनन्त । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । इसी प्रकार लोभसमदघात तक समझन एक नैरयिक के नारकपर्याय में कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! वे अनन्त हुए हैं । वेदनासमुद्घात के समान क्रोधसमुद्घात का भी वैमानिकपर्याय तक कहना । इसी प्रकार मानसमुद्घात एवं माया मारणान्तिकसमुद्घात समान कहना । लोभसमुद्घात कषायसमुद्घात के समान कहना । विशेष यह कि असुरकुमार आदि का नारकपर्याय में लोभकषायसमुद्घात की प्ररूपणा एक से लेकर करना । नारकों के नारकपर्याय में कितने क्रोधसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त, भावि भी अनन्त होते हैं । इसी प्रकार वैमानिकपर्याय तक कहना । इसी प्रकार स्वस्थान-परस्थानों में सर्वत्र लोभसमुद्घात तक यावत् वैमानिकों के वैमानिकपर्याय तक कहना। सूत्र- ६१० भगवन् ! क्रोध, मान, माया और लोभसमुद्घात से तथा अकषायसमुद्घात से समवहत और असमवहत जीवों से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम अकषायसमुद्घात से समवहत जीव हैं, उनसे मानकषायवाले अनन्तगुणे हैं, उनसे क्रोधसमुदघात वाले विशेषाधिक हैं, उनसे मायासम् द्घात वाले विशेषाधिक हैं, उनसे लोभसमुद्घातवाले विशेषाधिक हैं और (इन सबसे) असमवहत जीव संख्यात-गुणा हैं । इन क्रोध, मान, माया और लोभसमुद्घात से समवहत और असमवहत नारकों में अल्पबहुत्व-गौतम ! सबसे कम लोभसमुद्घात से समवहत नारक हैं, उनसे संख्यातगुणा मायासमुद्घातवाले हैं, उनसे संख्यातगुणा मानसमुद्घातवाले हैं, उनसे संख्यातगुणा क्रोधसमुद्घात वाले और इन सबसे संख्यातगुणा असमवहत नारक हैं। क्रोधादिसमुद्घात से समवहत और असमवहत असुरकुमारों में ? गौतम ! सबसे थोड़े क्रोधसमुद्घात से समवहत असुरकुमार हैं, उनसे मानसमुद्घाती संख्यातगुणा हैं, उनसे मायासमुद्घाती संख्यातगुणा हैं और उनसे लोभसमुद्-घाती संख्यातगुणा हैं तथा इन सबसे असमवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं । इसी प्रकार वैमानिकों तक सर्वदेवों को जानना । क्रोधादिसमुद्घात से समवहत और असमवहत पृथ्वीकायिकों में ? गौतम ! सबसे कम मानससमुद्-घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं, उनसे क्रोधसमुद्घाती विशेषाधिक हैं, उनसे मायासमुद्घाती विशेषाधिक हैं और उनसे लोभसमुद्घाती विशेषाधिक हैं तथा इन सबसे असमवहत पृथ्वीकायिक संख्यातगुणा हैं । इसी प्रकार पंचे-न्द्रियतिर्यंच में जानना। मनुष्यों समुच्चय जीवों के समान हैं । विशेष यह कि मानससमुद्घात से समवहत मनुष्य असंख्यात-गुणा है। सूत्र-६११ भगवन् ! छाद्मस्थिकसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! छह-वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात, वैक्रियसमुद्घात, तैजससमुद्घात और आहारकसमुद्घात । नारकों में कितने छाद्मस्थिकसमुद्घात हैं ? गौतम ! चार-वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात और वैक्रियसमुद्घात । असुरकुमारों में पाँच छाद्मस्थिकसमुद्घात हैं यथा-वेदनासमद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात, वैक्रियसमुद्घात और तैजससमुद्घात | एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय में गौतम ! तीन समुद्घात हैं-वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात । किन्तु वायुकायिक जीवों में चार हैं-वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात और वैक्रियसमुद्घात । पंचेन्द्रियतिर्यंचों में पाँच छाद्मस्थिकसमुद्घात हैं - वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 176
SR No.034682
Book TitleAgam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages181
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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