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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश /सूत्र कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का-निद्रा-पंचक और दर्शनचतुष्क । निद्रा-पंचक कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का निद्रा यावत् स्त्यानगृद्धि । दर्शनचतुष्क कितने प्रकार का है ? गौतम ! चार प्रकार काचक्षुदर्शनावरण यावत् केवलदर्शनावरण | वेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! वह दो प्रकार का है-सातावेदनीय और असातावेदनीय । सातावेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! आठ प्रकार का-मनोज्ञशब्द यावत् कायसुखता । असातावेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! आठ प्रकार का, अमनोज्ञ शब्द यावत् कायद्
भगवन् ! मोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का-दर्शनमोहनीय और चारित्रमोहनीय । दर्शन-मोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! तीन प्रकार का-सम्यक्त्ववेदनीय, मिथ्यात्ववेदनीय और सम्यग्मिथ्यात्ववेदनीय । चारित्रमोहनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का-कषायवेदनीय और नोकषायवेदनीय । कषायवेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! सोलह प्रकार का-अनन्तानुबन्धी क्रोध, अनन्तानुबन्धी मान, अनन्तानुबन्धी माया, अनन्तानुबन्धी लोभ; अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया और लोभ; प्रत्याख्याना-वरण क्रोध, मान, माया तथा लोभ, संज्वलन क्रोध, मान, माया एवं लोभ । नोकषाय-वेदनीयकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! नौ प्रकार का-स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद, हास्य, रति, अरति, भय, शोक और जुगुप्सा ।
आयुकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! चार प्रकार का-नारकायु यावत् देवायु ।।
नामकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! बयालीस प्रकार का-गतिनाम, जातिनाम, शरीरनाम, शरीरांगोपांगनाम, शरीरबन्धननाम, शरीरसंघातनाम, संहनननाम, संस्थाननाम, वर्णनाम, गन्धनाम, रसनाम, स्पर्शनाम, अगुरुलघुनाम, उपघातनाम, पराघातनाम, आनुपूर्वीनाम, उच्छ्वासनाम, आतपनाम, उद्योतनाम, विहायोगतिनाम, त्रसनाम, स्थावरनाम, सूक्ष्मनाम, बादरनाम, पर्याप्तनाम, अपर्याप्तनाम, साधारणशरीरनाम, प्रत्येकशरीरनाम, स्थिरनाम, अस्थिरनाम, शुभनाम, अशुभनाम, सुभगनाम, दुर्भगनाम, सुस्वरनाम, दुःस्वरनाम, आदेयनाम, अनादेयनाम, यशःकीर्तिनाम, अयश:कीर्तिनाम, निर्माणनाम और तीर्थंकरनाम ।
गतिनामकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! चार प्रकार का, नरकगतिनाम यावत् देवगतिनाम । जातिनामकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का-एके-न्द्रियजातिनाम यावत् पंचेन्द्रियजातिनाम । शरीरनामकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का-औदारि-कशरीरनाम यावत् कार्मणशरीरनाम । शरीरांगोपांगनाम कितने प्रकार का है ? गौतम ! तीन प्रकार का- औदारिक, वैक्रिय और आहारकशरीरांगोपांग नाम । शरीरबन्धननाम कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का-औदारिक० यावत् कार्मणशरीरबन्धननाम । शरीरसंघातनाम ? गौतम ! पाँच प्रकार का है-औदारिक० यावत् कार्मणशरीरसंघातनाम । संहनननाम ? गौतम ! छह प्रकार का है, वज्रऋषभनाराच०, ऋषभनाराच०, नाराच०, अर्द्धनाराच०, कीलिका और सेवार्त्तसंहनननामकर्म । संस्थाननाम? गौतम ! छह प्रकार का है, समचतुरस्र०, न्यग्रोधपरिमण्डल०, सादि०, वामन०, कुब्ज० और हुण्डकसंस्थाननामकर्म ।
वर्णनामकर्म ? गौतम ! पाँच प्रकार का है, यथा-कालवर्णनाम यावत् शुक्लवर्णनाम । गन्धनामकर्म ? गौतम ! दो प्रकार का, सुरभिगन्धनाम और दुरभिगन्धनामकर्म । भगवन् ! रसनामकर्म कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! वह पाँच प्रकार का कहा गया है, यथा-तिक्तरसनाम यावत् मधुररसनामकर्म । स्पर्शनामकर्म ? गौतम ! आठ प्रकार का है, कर्कशस्पर्शनाम यावत् रूक्षस्पर्शनामकर्म । अगुरुलघुनाम एक प्रकार का है । उपघातनाम एक प्रकार का है। पराघातनाम एक प्रकार का है । आनुपूर्वीनामकर्म चार प्रकार का है-नैरयिकानुपूर्वीनाम यावत् देवानुपूर्वीनामकर्म । उच्छ्वासनाम एक प्रकार का है | शेष सब तीर्थंकरनामकर्म तक एक-एक प्रकार का है | विशेष यह कि विहायोगतिनाम दो प्रकार का है, यथा-प्रशस्त० और अप्रशस्तविहायोगतिनाम कर्म ।
गोत्रकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का है, यथा-उच्चगोत्र और नीचगोत्र । उच्चगोत्रकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! आठ प्रकार का है, जातिविशिष्टता यावत् ऐश्वर्यविशिष्टता । नीचगोत्र भी आठ प्रकार का है । किन्तु यह उच्चगोत्र से विपरीत है, यथा-जातिविहीनता यावत् ऐश्वर्यविहीनता।
अन्तरायकर्म कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का है, यथा-दानान्तराय यावत् वीर्यान्तरायकर्म ।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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