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आगम सूत्र १४, उपांगसूत्र-३, 'जीवाजीवाभिगम'
प्रतिपत्ति/उद्देश-/सूत्र सूत्र-१९
__ वनस्पतिकायिक जीवों का क्या स्वरूप है ? वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के हैं, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और बादर वनस्पतिकायिक । सूत्र - २०
सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव कैसे हैं ? सूक्ष्म वनस्पतिकायिक जीव दो प्रकार के हैं पर्याप्त और अपर्याप्त, इत्यादि वर्णन सूक्ष्म पृथ्वीकायिकों के समान जानना । विशेषता यह है कि सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों का संस्थान अनियत है । वे जीव दो गति में जाने वाले और दो गतियों से आने वाले हैं । वे अप्रत्येकशरीरी (अनन्तकायिक) हैं और अनन्त हैं। सूत्र - २१
बादर वनस्पतिकायिक कैसे हैं ? बादर वनस्पतिकायिक दो प्रकार के हैं-प्रत्येकशरीरी बादर वनस्पतिकायिक और साधारणशरीर बादर वनस्पतिकायिक । सूत्र- २२,२३
प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों का स्वरूप क्या है ? प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक बारह प्रकार के हैं जैसे- वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लता, वल्ली, पर्वग, तृण, वलय, हरित, औषधि, जलरुह और कुहण । सूत्र - २४
वृक्ष किसे कहते हैं ? वृक्ष दो प्रकार के हैं-एक बीज वाले और बहुत बीज वाले । एक बीज वाले कौन हैं ? एक बीज वाले अनेक प्रकार के हैं-नीम, आम, जामुन यावत् पुन्नाग नागवृक्ष, श्रीपर्णी तथा और भी इसी प्रकार के अन्य वृक्ष । इनके मूल असंख्यात जीव वाले हैं, कंद, स्कंध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्ते ये प्रत्येक-एक-एक जीव वाले हैं, इनके फूल अनेक जीव वाले हैं, फल एक बीज वाले हैं।
बहुबीज वृक्ष कौन से हैं ? बहुबीज वृक्ष अनेक प्रकार के हैं, अस्तिक, तेंदुक, अम्बर, कबीठ, आंवला, पनस, दाडिम, न्यग्रोध, कादुम्बर, तिलक, लकुच (लवक), लोध्र, धव और अन्य भी इस प्रकार के वृक्ष । इनके मूल असंख्यात जीव वाले यावत् फल बहुबीज वाले हैं। सूत्र-२५
वृक्षों के संस्थान नाना प्रकार के हैं । ताल, सरल और नारीकेल वृक्षों के पत्ते और स्कंध एक-एक जीव वाले होते हैं। सूत्र - २६
जैसे श्लेष द्रव्य से मिश्रित अखण्ड सरसों की बनाई हुई बट्टी एकरूप होती है किन्तु उसमें दाने अलग-अलग होते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक शरीरियों के शरीरसंघात होते हैं। सूत्र - २७
__ जैसे तिलपपड़ी में बहुत सारे अलग-अलग तिल मिले हुए होते हैं उसी तरह प्रत्येक शरीरियों के शरीर-संघात अलग-अलग होते हुए भी समुदाय रूप होते हैं । सूत्र- २८
यह प्रत्येकशरीर बादरवनस्पतिकायिकों का वर्णन हुआ। सूत्र-२९
साधारण बादर वनस्पतिकाय क्या है ? वे अनेक प्रकार के हैं । आलू, मूला, अदरख, हिरिलि, सिरिलि, सिस्सिरिली, किट्टिका, क्षीरिका, क्षीरविडालिका, कृष्णकन्द, वज्रकन्द, सूरणकन्द, खल्लूट, कृमिराशि, भद्र, मुस्तामुनि दीपरत्नसागर कृत् । (जीवाजीवाभिगम) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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