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________________ आगम सूत्र १४, उपांगसूत्र-३, 'जीवाजीवाभिगम' प्रतिपत्ति/उद्देश-/सूत्र आजिनक, रूई, बूर वनस्पति, मक्खन, हंसगर्भतूलिका, सिरीष फूलों का समूह, नवजात कुमुद के पत्रों की राशि के कोमल स्पर्श समान स्पर्श है क्या ? गौतम ! यह अर्थ यथार्थ नहीं है । उन तणों और मणियों का स्पर्श उनसे भी अधिक इष्ट, कान्त, प्रिय, मनोज्ञ और मणाम है। हे भगवन् ! उन तृणों और मणियों के पूर्व-पश्चिम-दक्षिण-उत्तर दिशा से आगत वायु द्वारा मंद-मंद कम्पित होने से, विशेषरूप से कम्पित होने से, बार-बार कंपित होने से, क्षोभित, चालित और स्पंदित होने से तथा प्रेरित किये जाने पर कैसा शब्द होता है ? जैसे शिबिका, स्यन्दमानिका, और संग्राम रथ जो छत्र सहित हे, ध्वजा सहित है, दोनों तरफ लटकते हुए बड़े-बड़े घंटों से युक्त है, जो श्रेष्ठ तोरण से युक्त है, नन्दिघोष से युक्त है, जो छोटी-छोटी घंटियों से युक्त, स्वर्ण की माला-समूहों से सब ओर से व्याप्त है, जो हिमवन् पर्वत के चित्र-विचित्र मनोहर चित्रों से युक्त तिनिश की लकड़ी से बना हुआ, सोने से खचित है, जिसके आरे बहुत ही अच्छी तरह लगे हुए हों तथा जिसकी धुरा मजबूत हो, जिसके पहियों पर लोह की पट्टी चढ़ाई गई हो, आकीर्ण-गुणों से युक्त श्रेष्ठ घोड़े जिसमें जुते हुए हों, कुशल एवं दक्ष सारथी से युक्त हो, प्रत्येक में सौ-सौ बाण वाले बत्तीस तूणीर जिसमें सब और लगे हुए हों, कवच जिसका मुकुट हो, धनुष सहित बाण और भाले आदि विविध शस्त्रों तथा उनके आवरणों से जो परिपूर्ण हो तथा योद्धाओं के युद्ध निमित्त जो सजाया गया हो, जब राजांगण में या अन्तःपुर में या मणियों से जड़े हुए भूमितल में बार-बार वेग में चलता हो, आता-जाता हो, तब जो उदार, मनोज्ञ, कान एवं मन को तृप्त करनेवाले चौतरफा शब्द नीकलते हैं, क्या उन तृणों और मणियों का ऐसा शब्द होता है ? हे गौतम ! यह अर्थ यथार्थ नहीं है। भगवन् ! जैसे ताल के अभाव में भी बजायी जानेवाली वैतालिका वीणा जब उत्तरामंदा नामक मूर्छना से युक्त होती है, बजानेवाले व्यक्ति की गोद में भलीभाँति विधिपूर्वक रखी हुई होती है, चन्दन के सार से निर्मित कोण से घर्षित की जाती है, बजाने में कुशल नर-नारी द्वारा संप्रग्रहीत हो प्रातःकाल और सन्ध्याकाल के समय मन्द-मन्द और विशेषरूप से कम्पित करने पर, बजाने पर, क्षोभित, चालित और स्पंदित, घर्षित और उदीरित करने पर जैसा उदार, मनोज्ञ, कान और मन को तृप्ति करने वाला शब्द चौतरफा नीकलता है, क्या ऐसा उन तृणों और मणियों का शब्द है ? गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। भगवन् ! जैसे किंनर, किंपुरुष, महोरग और गन्धर्व-जो भद्रशालवन, नन्दनवन, सोमनसवन और पंडकवन में स्थित हों, जो हिमवान् पर्वत, मलयपर्वत या मेरुपर्वत की गुफा में बैठे हों, एक स्थान पर एकत्रित हुए हों, एक दूसरे के सन्मुख बैठे हों, परस्पर रगड़ से रहित सुखपूर्वक आसीन हों, समस्थान पर स्थित हों, जो प्रमुदित और क्रीडा में मग्न हों, गीत में जिनकी रति हो और गन्धर्व नाट्य आदि करने में जिनका मन हर्षित हो रहा हो, उन न्धर्वादि के गद्य, पद्य, कथ्य, पदबद्ध, पादबद्ध, उत्क्षिप्त, प्रवर्तक, मंदाक, इन आठ प्रकार के गेय को, रुचिकर अन्त वाले गेय को, सात स्वरों से युक्त गेय को, आठ रसों से युक्त गेय को, छह दोषों से रहित, ग्यारह अलंकारों से युक्त, आठ गुणों से युक्त बांसुरी की सुरीली आवाज से गाये गये गेय को, राग से अनुरक्त, उर-कण्ठ-शिर ऐसे त्रिस्थान शुद्ध गेय को, मधुर, सम, सुललित, एक तरफ बांसुरी और दूसरी तरफ तन्त्री बजाने पर दोनों में मेल के साथ गाया गया गेय, तालसंप्रयुक्त, लयसंप्रयुक्त, ग्रहसंप्रयुक्त, मनोहर, मृदु और रिभित पद संचार वाले, श्रोताओं को आनन्द देनेवाले, अंगों के सुन्दर झुकाव वाले, श्रेष्ठ सुन्दर ऐसे दिव्य गीतों के गानेवाले उन किन्नर आदि के मुख से जो शब्द नीकलते हैं, वैसे उन तृणों और मणियों का शब्द होता है क्या ? हाँ, गौतम ! उन तृणों और मणियों के कम्पन से होने वाला शब्द इस प्रकार का होता है। सूत्र-१६५ उस वनखण्ड के मध्य में उस-उस भाग में उस उस स्थान पर बहत-सी छोटी-छोटी चौकोनी वावडियाँ हैं, गोल-गोल अथवा कमलवाली पुष्करिणियाँ हैं, जगह-जगह नहरों वाली दीर्घिकाएं हैं, टेढ़ीमेढ़ी गुंजालिकाएं हैं, जगह-जगह सरोवर हैं, सरोवरों की पंक्तियाँ हैं, अनेक सरसर पंक्तियाँ और बहुत से कुओं की पंक्तियाँ हैं । वे स्वच्छ हैं, मृदु पुद्गलों से निर्मित हैं । इनके तीर सम हैं, इनके किनारे चाँदी के बने हैं, किनारे पर लगे पाषाण वज्रमय हैं। मुनि दीपरत्नसागर कृत्- (जीवाजीवाभिगम) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 60
SR No.034681
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigam Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size4 MB
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