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आगम सूत्र १४, उपांगसूत्र-३, 'जीवाजीवाभिगम'
प्रतिपत्ति/उद्देश-/सूत्र अनिन्द्रिय अनन्तगुण हैं और उनसे वनस्पतिकायिक अनन्तगुण हैं। सूत्र-३९८
अथवा सर्व जीव दस प्रकार के हैं, यथा-१. प्रथमसमयनैरयिक, २. अप्रथमसमयनैरयिक, ३. प्रथमसमयतिर्यग्योनिक, ४. अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक, ५. प्रथमसमयमनुष्य, ६. अप्रथमसमयमनुष्य, ७. प्रथमसमयदेव, ८. अप्रथमसमयदेव, ९. प्रथमसमयसिद्ध और १०. अप्रथमसमयसिद्ध।
प्रथमसमयनैरयिक, प्रथमसमयनैरयिक के रूप में ? एक समय तक । अप्रथमसमयनैरयिक उसी रूप में? एक समय कम १०००० वर्ष तक, उत्कृष्ट एक समय कम ३३ सागरोपम तक रहता है । प्रथमसमयतिर्यग्योनिक उसी रूप में ? एक समय तक । अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक जघन्य से एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण तक और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल तक रहता है। प्रथमसमयमनुष्य उस रूपमें? एक समय तक। अप्रथमसमयमनुष्य जघन्य से एक समय कम क्षुल्लकभवग्रहण, उत्कर्ष पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्योपम तक रहता है । देव का कथन नैरयिक की तरह है। प्रथमसमयसिद्ध उस रूप में? एक समय तक । अप्रथमसमयसिद्ध सादि-अपर्यवसित होने से सदाकाल रहता है । प्रथमसमयनैरयिक जघन्य से अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल रहता है । अप्रथमसमयनैरयिक का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। प्रथमसमयतिर्यग्योनिक का अन्तर जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण है, उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से साधिक सागरोपम-शतपृथक्त्व है।
भगवन् ! प्रथमसमयमनुष्य का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण है और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभव और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है । देव का अन्तर नैरयिक की तरह कहना चाहिए । प्रथमसमयसिद्ध और अप्रथमसमयसिद्ध का अन्तर नहीं है । अल्पबहुत्व (१) सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध, उनसे प्रथमसमयमनुष्य असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण और उनसे प्रथमसमयतिर्यग्योनिक असंख्येयगुण है | अल्पबहुत्व (२) गौतम ! सबसे थोड़े अप्रथमसमयमनुष्य, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण और उनसे अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक अनन्तगुण हैं । अल्पबहुत्व (३) गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयनैरयिक हैं, उनसे असंख्यातगुण अप्रथमसमयनैरयिक है अल्पबहुत्व (४) गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयतिर्यग्योनिक हैं और उनसे अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक अ अल्पबहुत्व (५) गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य हैं, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण हैं । जैसा मनुष्यों के लिए कहा है, वैसा देवों के लिए भी कहना । अल्पबहत्व (६) गौतम ! सबसे थोडे प्रथमसमयसिद्ध हैं, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण हैं । अल्पबहत्व (७) गौतम ! सबसे थोड़े प्रथमसमयसिद्ध हैं, उनसे प्रथम-समयमनुष्य असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयमनुष्य असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्यातगुण हैं, उनसे प्रथमसमयतिर्यंच असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयनैरयिक असंख्यातगुण हैं, उनसे अप्रथमसमयसिद्ध अनन्तगुण हैं, उनसे अप्रथमसमय तिर्यंच अनन्तगुण हैं ।
प्रतिपत्ति-१०-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
१४ जीवाजीवाभिगम-उपांगसूत्र-३-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् । (जीवाजीवाभिगम)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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