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________________ आगम सूत्र-८, अंगसूत्र-८, 'अंतकृत् दशा' वर्ग/अध्ययन/ सूत्रांक वर्ग-७ सूत्र -४१ भता भगवन् ! यावत् मोक्षप्राप्त श्रमण भगवान महावीर ने अंतगडदशा के छटे वर्ग का जो अर्थ बताया है, उसका मैंने श्रवण कर लिया है, अब श्रमण यावत् मोक्षप्राप्त भगवान महावीर ने सातवें वर्ग का जो अर्थ कहा है उसे सूनाने की कृपा करें । हे जंबू ! सातवें वर्ग के तेरह अध्ययन कहे गए हैं। सूत्र - ४२ नन्दा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, नन्दश्रेणिका, मरुता, समरुता, महामरुता, मरुद्देवा । सूत्र - ४३ भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमनायिका, भूतदत्ता । ये सब श्रेणिक राजा की रानियाँ थीं।'' सूत्र -४४ "भगवन् ! प्रभु ने सातवें वर्ग के तेरह अध्ययन कहे हैं तो प्रथम अध्ययन का हे पूज्य ! श्रमण यावत् मुक्ति-प्राप्त प्रभु ने क्या अर्थ कहा है ?'' ''हे जंबू ! उस काल और उस समय में राजगृह नामका नगर था । उसके बाहर गुणशील चैत्य था । श्रेणिक राजा था, नन्दा रानी थी । प्रभु महावीर पधारे । परिषद् वंदन करने को नीकली। नन्दा देवी भगवान के आने का समाचार सूनकर बहुत प्रसन्न हई और आज्ञाकारी सेवक को बुलाकर धार्मिक-रथ लाने की आज्ञा दी। पद्मावती की तरह इसने भी दीक्षा ली यावत् ग्यारह अंगों का अध्ययन किया । बीस वर्ष तक चारित्र का पालन किया, अंत में सिद्ध हुई। सूत्र-४५ नन्दवती आदि शेष बारह अध्ययन नन्दा के समान हैं। वर्ग-७-का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अंतकृद्दशा) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 27
SR No.034675
Book TitleAgam 08 Antkruddasha Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 08, & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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