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________________ आगम सूत्र ७, अंगसूत्र-७, 'उपासकदशा' अध्ययन/ सूत्रांक करोड़, चुलनीपिता की २४ करोड़, सुरादेव की १८ करोड़, चुल्लशतक की १८ करोड़, कुंडकौलिक की १८ करोड़, सकडालपुत्र की ३ करोड़, महाशतक की कांस्य-परिमित २४ करोड़, नन्दिनीपिता की १२ करोड़ और लेइयापिता की १२ करोड़ थीं। सूत्र - ६८ आनन्द आदि श्रमणोपासकों ने निम्नांकित २१ बातों में मर्यादा की थीं-शरीर पोंछने का तोलिया, दतौन, केश एवं देह-शुद्धि के लिए फल-प्रयोग, मालिश के तैल, उबटन, स्नान के लिए पानी, पहनने के वस्त्र, विलेपन, पुष्प, आभूषण, धूप, पेय । तथासूत्र-६९ भक्ष्य-मिठाई, ओदन, सूप, घृत, शाक, व्यंजन, पीने का पानी, मुखवास । सूत्र - ७० इन दस श्रमणोपासकों में आनन्द तथा महाशतक को अवधि-ज्ञान प्राप्त हुआ, आनंद का अवधिज्ञान इस प्रकार है-पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में लवणसमुद्र में पाँच-पाँच सौ योजन तक, उत्तर दिशा में चुल्लहिमवान् वर्षधर पर्वत तक, ऊर्ध्व-दिशा में सौधर्म देवलोक तक, अधोदिशा में प्रथम नारक भूमि रत्नप्रभा में लोलुपाच्युत नामक स्थान तक। सूत्र-७१ प्रत्येक श्रमणोपासक ने ११-११ प्रतिमाएं स्वीकार की थीं, जो निम्नांकित हैं-दर्शन-प्रतिमा, व्रत-प्रतिमा, सामायिक-प्रतिमा, पोषध-प्रतिमा, कायोत्सर्ग-प्रतिमा, ब्रह्मचर्य-प्रतिमा, सचित्ताहार-वर्जन-प्रतिमा, स्वयं आरम्भवर्जन-प्रतिमा, भृतक-प्रेष्यारम्भ-वर्जन-प्रतिमा, भृतक-प्रेष्यारम्भ-वर्जन-प्रतिमा, उद्दिष्ट-भक्त-वर्जन-प्रतिमा, श्रमणभूत-प्रतिमा। सूत्र - ७२ इन सभी श्रमणोपासकों ने २०-२० वर्ष तक श्रावक-धर्म का पालन किया, अन्त में एक महीने की संलेखना तथा अनशन द्वारा देह-त्याग किया, सौधर्म देवलोक में चार-चार पल्योपम आयु के देवों के रूप में उत्पन्न हए । देवभव के अनन्तर सभी महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होंगे, मोक्ष-लाभ करेंगे। ७ - उपासकदशा-अंगसूत्र-७ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (उपासकदशा) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 32
SR No.034674
Book TitleAgam 07 Upasakdasha Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages33
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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