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आगम सूत्र ६, अंगसूत्र-६, 'ज्ञाताधर्मकथा'
श्रुतस्कन्ध/वर्ग/अध्ययन/ सूत्रांक लब्ध की है, प्राप्त की है और पूर्णरूपेण प्राप्त की है।
भगवन् ! दर्दुर देव की उस देवलोक में कितनी स्थिति है ? गौतम ! चार पल्योपम की स्थिति कही गई है। तत्पश्चात् वह दर्दुर देव आयु के क्षय से, भव के क्षय से और स्थिति के क्षय से तुरंत वहाँ से च्यवन करके महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध होगा, बुद्ध होगा, यावत् अन्त करेगा । इस प्रकार श्रमण भगवान महावीर ने तेरहवें ज्ञात-अध्ययन का यह अर्थ कहा है । जैसा मैंने सूना वैसा मैं कहता हूँ।
अध्ययन-१३ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (ज्ञाताधर्मकथा)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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