SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2' शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक शतक-३७ सूत्र-१०६१ भगवन् ! कृतयुग्मराशि वाले त्रीन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! द्वीन्द्रियशतक के समान त्रीन्द्रिय जीवों के भी बारह शतक कहना विशेष यह है कि इनकी अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट तीन गाऊ की है तथा स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट उनचास अहोरात्रि की है। शेष पूर्ववत् । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है | शतक-३८ सूत्र-१०६२ इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय जीवों के बारह शतक कहने चाहिए । विशेष यह है कि इनकी अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग, उत्कृष्ट चार गाऊ की है तथा स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट छह महीने की है। शेष कथन द्वीन्द्रिय जीवों के शतक समान । हे भगवन ! यह इसी प्रकार है। शतक-३९ सूत्र-१०६३ भगवन् ! कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिप्रमाण असंज्ञीपंचेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! द्वीन्द्रियशतक के समान असंज्ञीपंचेन्द्रिय जीवों के भी बारह शतक कहने चाहिए । विशेष यह है कि इनकी अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवे भाग की और उत्कृष्ट एक हजार योजन की है तथा कायस्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व की है एवं भवस्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है । शेष पूर्ववत् द्वीन्द्रिय जीवों के समान है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। शतक-३७ से ३९ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 245
SR No.034672
Book TitleAgam 05 Bhagwati Sutra Part 02 Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy