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आगम सूत्र ५, अंगसूत्र-५, 'भगवती/व्याख्याप्रज्ञप्ति-2'
शतक/वर्ग/उद्देशक/ सूत्रांक पूर्ववत् । इसी प्रकार प्रथम उद्देशक अनुसार द्वीतिय उद्देशक में भी उत्पाद-परिमाण सोलह बार कहना चाहिए । अन्य सब पूर्ववत् । किन्तु इन दस बातों में भिन्नता है, यथा-अवगाहना-जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग है और उत्कृष्ट भी अंगुल के असंख्यातवें भाग है । आयुष्यकर्म के बन्धक नहीं, अबन्धक होते हैं । आयुष्य-कर्म के ये उदीरक नहीं, अनुदीरक होते हैं । ये उच्छ्वास, निःश्वास तथा उच्छ्वास-निःश्वास से युक्त नहीं होते और ये सात प्रकार के कर्मों के बन्धक होते हैं, अष्टविधकर्मों के बन्धक नहीं होते।
भगवन् ! वे प्रथमसमयोत्पन्न कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कितने काल तक होते हैं ? गौतम! एक समय । उनकी स्थिति भी इतनी ही है। उनमें आदि के दो समुद्घात होते हैं। उनमें समवहत एवं उद्वर्त्तना नहीं होने से, इन दोनों की पृच्छा नहीं करनी चाहिए । शेष सब बातें सोलह ही महायुग्मों में अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं, तक उसी प्रकार कहना । हे भगवन ! यह इसी प्रकार है।
शतक-३५/१ - उद्देशक-३ से ११ सूत्र-१०४७
भगवन् ! अप्रथमसमयोत्पन्न कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! प्रथम उद्देशक अनुसार इस उद्देशक में भी सोलह महायुग्मों के पाठ द्वारा यावत् अनन्त बार उत्पन्न हुए हैं, तक। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। सूत्र-१०४८
भगवन् ! चरमसमयोत्पन्न कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! प्रथमसमय उद्देशक अनुसार कहना चाहिए । किन्तु इनमें देव उत्पन्न नहीं होते तथा तेजोलेश्या के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिए । शेष पूर्ववत् । सूत्र-१०४९
भगवन् ! अचरमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! अप्रथमसमय उद्देशक के अनुसार कहना । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यह इसी प्रकार है। सूत्र-१०५०
भगवन् ! प्रथमप्रथमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम! प्रथमसमय के उद्देशक अनुसार समग्र कथन करना। सूत्र-१०५१
भगवन् ! प्रथम-अप्रथमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं? गौतम! प्रथमसमय के उद्देशकानुसार कहना । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। सूत्र-१०५२
भगवन् ! प्रथम-चरमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! चरमउद्देशक अनुसार जानना। सूत्र-१०५३
भगवन् ! प्रथम-अचरमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! दूसरे उद्देशक के अनुसार जानना । हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। सूत्र-१०५४
भगवन् ! चरम-चरमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम! चौथे उद्देशक के अनुसार जानना। सूत्र-१०५५
भगवन् ! चरम-अचरमसमय के कृतयुग्म-कृतयुग्मराशिरूप एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ?
मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(भगवती-२) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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