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________________ आगम सूत्र ५, अंगसूत्र- ५, 'भगवती / व्याख्याप्रज्ञप्ति-2' शतक / वर्ग / उद्देशक / सूत्रांक सूत्र ९५५,९५६ प्रतिसेवना कितने प्रकार की है ? दस प्रकार की है, यथा-दर्पप्रतिसेवना, प्रमादप्रतिसेवना, प्रमादप्रतिसेवना, अनाभोगप्रतिसेवना, आतुरप्रतिसेवना, आपत्प्रति सेवना, संकीर्णप्रतिसेवना, सहसाकारप्रतिसेवना, भयप्रतिसेवना, प्रद्वेषप्रतिसेवना और विमर्शप्रतिसेवना । सूत्र - ९५७, ९५८ आलोचना के दस दोष कहे हैं। वे इस प्रकार हैं- आकम्प्य, अनुमान्य, दृष्ट, बादर, सूक्ष्म, छन्न- प्रच्छन्न, शब्दाकुल, बहुजन, अव्यक्त और तत्सेवी । सूत्र- ९५९ दस गुणों से युक्त अनगार अपने दोषों की आलोचना करने योग्य होता है। यथा- जातिसम्पन्न, कुलसम्पन्न, विनयसम्पन्न, ज्ञानसम्पन्न, दर्शनसम्पन्न, चारित्रसम्पन्न, क्षान्त, दान्त, अमायी और अपश्चात्तापी । सूत्र ९६०, ९६१ समाचारी दस प्रकार की कही है, यथा- इच्छाकार, मिथ्याकार, तथाकार, आवश्यकी, नैषेधिकी, प्रतिपृच्छना, छन्दना, निमंत्रणा और उपसम्पदा । आपृच्छना, सूत्र - ९६२ दस प्रकार का प्रायश्चित्त कहा है। यथा-आलोचनार्ह, प्रतिक्रमणार्ह, तदुभयार्ह, विवेकार्ह, व्युत्सर्गार्ह, तपाई, छेदार्ह, मूलार्ह, अनवस्थाप्यार्ह और पारांचिकार्ह । सूत्र - ९६३, ९६४ तप दो प्रकार का कहा गया है। यथा बाह्य और आभ्यन्तर (भगवन ) वह बाह्य तप किस प्रकार का है? (गौतम !) छह प्रकार का है। अनशन, अवमौदर्य, भिक्षाचर्या, रसपरित्याग, कायक्लेश और प्रतिसंलीनता । सूत्र - ९६५ ! भगवन् । अनशन कितने प्रकार का है? गौतम दो प्रकार का इत्वरिक और यावत्कथिक । भगवन् । इत्वरिक अनशन कितने प्रकार का कहा है ? अनेक प्रकार का यथा- चतुर्थभक्त, षष्ठभक्त, अष्टम-भक्त, दशम-भक्त, द्वादशभक्त, चतुर्दशभक्त, अर्द्धमासिक, मासिकभक्त, द्विमासिकभक्त, त्रिमासिकभक्त यावत् षाण्मासिक-भक्त । यह इत्वरिक अनशन है। भगवन् । यावत्कथिक अनशन कितने प्रकार का कहा गया है? गौतम दो प्रकार कापादोपगमन और भक्तप्रत्याख्यान । भगवन् । पादोपगमन कितने प्रकार का कहा गया है? गौतम दो प्रकार कानिर्हारिम और अनिर्हारिम । ये दोनों नियम से अप्रतिकर्म होते हैं । भगवन् ! भक्तप्रत्याख्यान अनशन क्या है ? दो प्रकार का निर्हारिम और अनिहरिम। यह नियम से सप्रतिकर्म होता है। ! ! ! ! भगवन् । अवमोदरिका तप कितने प्रकार का है? गौतम दो प्रकार का द्रव्य अवमोदरिका और भावअवमोदरिका । भगवन् । द्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार का है? गौतम दो प्रकार का उपकरणद्रव्य अवमोदरिका और भक्तपानद्रव्य अवमोदरिका । भगवन्! उपकरणद्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार का कहा है ? गौतम! तीन प्रकार का एक वस्त्र, एक पात्र और त्यक्तोपकरण-स्वदनता । भगवन् । भक्तपानद्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार का है? गीतम अण्डे के प्रमाण के आठ कवल आहार करना अल्पाहार अवमोदरिका, इत्यादि सातवें शतक के प्रथम उद्देशक के अनुसार यावत् वह प्रकाम-रसभोजी नहीं होता, यहाँ तक जानना । भगवन्! भाव- अवमोदरिका कितने प्रकार का है ? अनेक प्रकार का अल्पक्रोध यावत् अल्पलोभ, अल्पशब्द, अल्पझंझा और अल्प तुमन्तुमा । भगवन् । भिक्षाचर्या कितने प्रकार की है ? गौतम अनेक प्रकार की द्रव्याभिग्रहचरक, क्षेत्राभिग्रहचरक, इत्यादि औपपातिकसूत्रानुसार शुद्धेषणिक, संख्यादत्तिक तक कहना । ! ! भगवन् ! रस-परित्याग के कितने प्रकार हैं ? गौतम ! अनेक प्रकार का निर्वकृतिक, प्रणीतरस-विवर्जक, इत्यादि औपपातिकसूत्र अनुसार यावत् रूक्षाहार- पर्यन्त कहना चाहिए। भगवन् कायक्लेश तप कितने प्रकार का ! मुनि दीपरत्नसागर कृत् " ( भगवती २ ) आगमसूत्र - हिन्द- अनुवाद” Page 209
SR No.034672
Book TitleAgam 05 Bhagwati Sutra Part 02 Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size6 MB
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